बुधवार, 24 नवंबर 2010

Those who fear not are the winners

Those who fear not are the winners

Prof. C. B.Shrivastava “vidagdha’’
O B 11 , MPSEB colony , Rampur , Jabalpur M P 482008 ,Vivek1959@yahoo.co.in / 07612662052

Life is in fact not so simple
Nor is like that what you feel
But to a very large extent
It is something, how you deal

Every day has its new challenges
There are several fears and frowns
Everyone has his own problems
There are several ups and downs

The path of life is through the hurdles
Cross them with a patient mind
As unflinchingly you overcome
Ahead is plain clean road you find

Please don’t hesitate and don’t be sad
With full confidence hold the bridles
Soon you see, yours is the conquest
And are post soon all the hurdles

Those who fear not are the winners
To the highest peak they rise
Only bold ones and the fearless
Get all praises and the prize

मंगलवार, 16 नवंबर 2010

कैसे हो कोई काम शुभ यों बढ़े भ्रष्टाचार में

कैसे हो कोई काम शुभ यों बढ़े भ्रष्टाचार में
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव ‘विदग्ध‘

समझते है समझदारी लोग अब तकरार में
बुद्धि सारी आ बसी है आजकल हथियार में।

नित नई खबरें अनोखी छप रहीं अखबार में
कमीषन, रिष्वत की बातें आम हैं सरकार में।
न्याय और कानून की सब व्यवस्था है ताक पर
चल रहे घपले घोटाले हरेक कारोबार में।

हो गया है बहुत मुष्किल जिदंगी का ये सफर
बढ़ी हुई महंगाई से बैचेन है हर एक घर।
काम हो छोटे-बडे कोई सब में हैं मजबूरियाॅं
दब के बैठा जा रहा मन भारी गर्द गुबार में।

मिलावट के बिना कुछ मिलता नहीं बाजार में
छल, कपट का बोलबाला है हरेक व्यवहार में।
दवाओं तक के गुणों और मूल्यों में लूट है
हो गई संवेदनायें खत्म ज्यों संसार में।

उड़ गई काफूर सी सद्भावना, शालीनता
बढ़ रहा चारित्रिक पतन उदण्डता गुणहीनता।
न है पद की प्रतिष्ठा न बड़ो का सम्मान है
कैसे हो कोई काम शुभ यों बढ़े भ्रष्टाचार में।

बढ़ गया डर जान तक का आज पावन प्यार में
कट रही है जिंदगी कई की अचेत खुमार में।
भीड़ है विज्ञापनों की बहुत झूठ प्रचार की
पा रहे बेईमान ही सब लाभ हर व्यापार में।

भेदभाव बढ़े परस्पर आपसी टकराव है
छोटे-छोटे काम के भी बड़े मंहगे भाव है।
बिन चढ़ावों के सुलभ मंदिर में अब न प्रसाद तक
लगता है कर्तव्य तक अब ढल गये प्रतिकार में।

सही दिखता है कोई एकाध कई हजार में
रहा न सम्मान धन में पद में न अधिकार में।
गुनाहों के है हाथ लंबे ओछे है कानून के
भरोसा होता नहीं इससे ही किसी सुधार में।



प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव ‘विदग्ध‘
ओ.बी. 11, एमपीईबी कालोनी रामपुर, जबलपुर
मो. 9425806252

शनिवार, 13 नवंबर 2010

संसद के केंद्रीय हाल में अमेरिकन राष्ट्रपति बराक ओबामा के भाषण पर

संसद के केंद्रीय हाल में अमेरिकन राष्ट्रपति बराक ओबामा के भाषण पर ...

प्रो. सी. बी . श्रीवास्तव "विदग्ध"
OB 11 , MPSEB , Rampur , Jabalpur



सचाई का रंग स्वतः संवाद में सब झलकता है
मनोभावों का सरोवर भर के बाहर छलकता है

परिस्थितियां जगाती नये सोच , नईधारणायें
उन्हीं से मन को सदा मिलती अनेकों प्रेरणायें

अमेरिका के राष्ट्रपति जो कहा भाषण में अपने
वे थीं उनके मन की बातें साफ उनके मन के सपने

खोल के रख दी उन्होंने उनके मन की भावनायें
कि भारत औ" अमेरिका कदम मिलकर अब बढ़ायें

मिल कर दो जनतंत्र जग को दे सकेंगे नई दिशायें
जिससे दुनियां पा सकेगी, विश्व जनहित नई राहें

परस्पर हित के संग संग जग का कल्याण होगा
ज्ञान औ" तकनीक की नववृद्धि , नव वरदान होगा

हल सरल हो जायेंगे उनके जो हैं नई समस्यायें
अवतरित हो सकेगा युग नया मिटा सारी निराशायें

पूर्व पश्चिम का मिलन होगा सभी को लाभकारी
भारत अमेरिका बनायें जो "अणु" को कल्याणकारी

कृषि में , पर्यावरण में , व्यापार में संवृद्धि होगी
स्वस्थ्य , शिक्षा , आर्थिक क्षेत्रों में भी अभिवृद्धि होगी

होगी दुनियां शांति सुखमय नया यह संसार होगा
गरीबो की बस्तियों से दूर जब ांधियार होगा

विचारों और कर्म में सबके , जो हो ईमानदारी
तो सुनिश्चित स्वर्ग से सुखकर बने धरती हमारी