गुरुवार, 12 जुलाई 2012


कर्मण्येवाधिकारस्ते
(प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव, विदग्ध, ओ.बी. 11, रामपुर जबलपुर )

त्याग के कर्ता का अभिमान, कर्म तू करता जा इंसान
किंतु फल पैं न तेरा अधिकार फल तो बस देते है भगवान

कर्म का है कृषि सा विज्ञान बीज बोना ही सदा प्रधान
फसल मे क्या होगा उत्पन्न बीज से ही होती है पहचान

बेर के पौधे देते बेर आम के पौधे देते आम
बुरे का फल भी होता बुरा भले का सदा भला परिणाम

समझ के मन मे इतनी बात सदा करता चल सारे काम
बीज, हल-समय हैं तेरे साथ, फसल देने वाले हैं राम

कभी कम हो न तेरा  उत्साह, लिये नित आषा और उमंग
सजग रह बढा आत्मविष्वास बढा चल निर्भयता के संग

सुख या दुख देते सबको सदा विचारो के अपने ही ढंग
प्रेरणा देती मन को नित भावना की ही तरल तरंग

आदमी है खुद अपना मित्र स्वंय ढोना होता है भार
समय श्रम को देते जो मान साथ देता उनका संसार

बढा चल कभी न हिम्मत हार कभी मत त्याग कर्म का प्यार
कर्म ही है जीवन आंनद यही तो है गीता का सार

 

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