रविवार, 19 अगस्त 2012

ईद मुबारक


ईद मुबारक
(प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव, विदग्ध, ओ.बी. 11, रामपुर जबलपुर )

ईद के चांद की खोज मे हर बरस दिखती दुनिया बराबर ये बेजार है
बांटने को मगर सब पे अपनी खुशी कम ही दिखता कहीं कोई तैयार है

ईद दौलत नही कोई दिखावा नही ईद जज्बा है दिल का खुशी  की घडी
रस्म कोरी नही जो कि केवल निभे ईद का दिल से गहरा सरोकार है

है मुबारक घडी करने एहसास ये रिश्ता हर एक का हरेक इंसान से
अपने को और को और कुदरत को भी समझने को खुदा का ये फरमान है

है गुंथी साथ सबकी यहां जिदंगी सबका मिलजुल के रहना है लाजिम यहां
सबके ही मेल से दुनिया रंगीन है प्यार से खूबसूरत ये संसार है

मोहब्बत आदमियत मेल मिल्लत ही तो सिखाते है सभी मजहब संसार में
हो अमीरी गरीबी या कि मुफलिसी कोई झुलसे न नफरत के अंगार में

सिर्फ घर गांव शहरो ही तक में नही देश दुनिया मे खुशियो की खुशबू बसे
है खुदा से दुआ उसे सदबुद्धि दे जो जहां भी कही कोई गुनहगार है

ईद सबको खुशी से गले से लगा सिखाती बांटना आपसी प्यार है
है मसर्रत की पुर नूर ऐसी घडी जिसको दिल से मनाने की दरकार है

दी खुदा ने मोहब्बत की नेमत मगर आदमी भूल नफरत रहा बाटता
राह ईमान की चलने का वायदा खुद से करने का ईद एक त्यौहार है

जो भी कुछ है यहा सब खुदा का दिया वह सबका किसी एक का है नही
बस जरूरत है ले सब खुशी से जिये सभी हिल मिल जहां पर भी हो जो कही

खुदा सबका है सब पर मेहरबान है जो भी खुदगर्ज है वह ही बेईमान है
भाई चारा बढे औ मोहब्बत पले ईद का यही पैगाम इसरार है।

गुरुवार, 2 अगस्त 2012

नारी


नारी
(प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव, विदग्ध, ओ.बी. 11, रामपुर जबलपुर )

नारी के कई रूप हैं दुनियां में हमारी
माँ पत्नी बहिन देवी या फिर बेटी दुलारी

नारी को प्रकृति ने सहज जननी है बनाया
नारी में है भगवान के ही रूप की छाया
नारी में सृजन शक्ति का भंडार भरा है
सच उसकी इसी शक्ति से संसार हरा है
जग को प्रकृति का एक बड़ा उपहार है नारी
संसार के विस्तार का आधार है नारी

नारी है सजल सरिता , धरा सी उदार है
कोमल कुसुम सी , जिसके मन में गहरा प्यार है
नारी है सुगंधित समीर सी सुहावनी
संजीवनी है प्रेरणा है प्राण दायिनी
संतप्त को गंगा सी सरसधार है नारी
हर क्षोभ मनस्ताप का उपचार है नारी,
नारी के कई रूप हैं दुनियां में हमारी


छवि औ गुणो की नारी में अनमोल झलक है
जिसका सुरूप निरखने मिटती न ललक है
गृहिणी के बिना फीकी सी है होली दिवाली
घर मे जहाँ नारी नहीं वह दिखता है खाली
हर झोपड़ी या महल का श्रृगांर है नारी
हो एक भी ,  पूरा भरा परिवार है नारी,
नारी के कई रूप हैं दुनियां में हमारी


नारी है सरस्वती भी ,लक्ष्मी भी , शिवा भी
ममता की तो मूरत है मगर जलता तवा भी
नारी ही कभी दुर्गा , है वह ही कभी काली
अरिमर्दिनी कभी , कभी फुफकारती व्याली
जिससे  कि इस संसार की हर शक्ति है हारी
चपला सी चपल कौधंती तलवार भी नारी
नारी के कई रूप हैं , दुनियां में हमारी