शांति दे माँ नर्मदे ! 
प्रो सी बी श्रीवास्तव "विदग्ध"
मो ९४२५४८४४५२
सदा नीरा मधुर तोया पुण्य सलिले सुखप्रदे 
सतत वाहिनी तीव्र धाविनि मनो हारिणि हर्षदे 
सुरम्या वनवासिनी सन्यासिनी मेकलसुते 
कलकलनिनादिनि दुखनिवारिणि शांति दे माँ नर्मदे ! 
हुआ रेवाखण्ड पावन माँ तुम्हारी धार से 
जहाँ की महिमा अमित अनुपम सकल संसार से 
सीचतीं इसको तुम्ही माँ स्नेहमय रसधार से 
जी रहे हैं लोग लाखों बस तुम्हारे प्यार से 
पर्वतो की घाटियो से सघन वन स्थान से 
काले कड़े पाषाण की अधिकांशतः चट्टान से 
तुम बनाती मार्ग अपना सुगम विविध प्रकार से 
संकीर्ण या विस्तीर्ण या कि प्रपात या बहुधार से 
तट तुम्हारे वन सघन सागौन के या साल के 
जो कि हैं भण्डार वन सम्पत्ति विविध विशाल के 
वन्य कोल किरात पशु पक्षी तपस्वी संयमी 
सभी रहते साथ हिलमिल ऋषि मुनि व परिश्रमी 
हरे खेत कछार वन माँ तुम्हारे वरदान से 
यह तपस्या भूमि चर्चित फलद गुणप्रद ज्ञान से
पूज्य शिव सा तट तुम्हारे पड़ा हर पाषाण है 
माँ तुम्हारी तरंगो में तरंगित कल्याण है 
सतपुड़ा की शक्ति तुम माँ विन्ध्य की तुम स्वामिनी 
प्राण इस भूभाग की अन्नपूर्णा सन्मानिनी 
पापहर दर्शन तुम्हारे पुण्य तव जलपान से 
पावनी गंगा भी पावन माँ तेरे स्नान से 
हर व्रती जो करे मन से माँ तुम्हारी आरती 
संरक्षिका उसकी तुम्ही तुम उसे पार उतारती 
तुम हो एक वरदान रेवाखण्ड को हे शर्मदे 
शुभदायिनी पथदर्शिके युग वंदिते माँ नर्मदे 
तुम हो सनातन माँ पुरातन तुम्हारी पावन कथा 
जिसने दिया युगबोध जीवन को नया एक सर्वथा 
सतत पूज्या हरितसलिले मकरवाहिनी नर्मदे 
कल्याणदायिनि वत्सले ! माँ नर्मदे ! माँ नर्मदे !
 
 
1 टिप्पणी:
नर्मदा देवी समान ही है...धन्य हुये..
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