गुरुवार, 12 जुलाई 2012

महाकवि तुलसी को श्रद्धांजलि
(प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव, विदग्ध, ओ.बी. 11, रामपुर जबलपुर )

हे राम कथा अनुगायक तुलसी जन मन के अनुपम ज्ञाता
तुनमे जो गौरव गं्रथ लिखा भटको को वह पथ दिखलाता

मानस हिंदी का चूडामणि मानवता हित तव अमर दान
संचित जिसमे सब धर्म, नीति, व्यवहार, प्रीति आदर्ष ज्ञान

है वृती उपासक राम भक्त अनुरक्त सतत साधक ज्ञानी
तुमने जीवन को समझ सही भावो को दी मार्मिक वाणी

जनभाषा मे करके व्याख्या लिख दी जीवन की परिभाषा
अनुषीलन जिसका देता है दुख मे डूबे मन को आषा

भोैतिक संतापो से झुलसी जीवन लतिका जो मुरझाई
मनस जल कण से सिंचित हो फिर पा सकती नई हरियाई

तुम भारत के ही नही सकल मानवता के गौरव महान
गुरू श्रेष्ठ महाकवि हे तुलसी तुम अतुल विमल नभ के समान

हे भारत संस्कृति समन्वयक नित राम तत्व के गुणगायक
तुम धर्म शील गुण संस्थापक सात्विक मर्यादा उन्नायक

षिव शक्ति विष्णु की त्रिधा मिला शुभ राम भक्ति के उदगाता
हितकर सामाजिक मूल्यो के तुम सर्जक नव जीवन दाता

सब अपना लेते यदि उसको जो पथ है तुमने दिखलाया
तो हो सुख संसार सुलभ मन जिसे चाहता नित पाता

पर कमी हमारी ही हममे है कई स्वार्थी संसारी
लेकिन जिस मन तब राम बसे वह सतत तुम्हारे आभारी

साहित्य जगत के प्रखर सूर्य से भासमान हे ख्यातनाम
अभिवादन मे तब चरणो मे शत शत वंदन शत शत प्रणाम





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