शुक्रवार, 19 जुलाई 2013

दुनिया को एक बनाना है

दुनिया को एक बनाना है

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव विदग्ध
ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी रामपुर , जबलपुर


बिखरी औ" बटीं दुनियां को हमें सब मिल अब एक बनाना है
फिरकों में बटें इनसानो को हिल मिल रहना सिखलाना है

इस जग का जिसे है ज्ञान बड़ा खुद का ही उसे अज्ञान बहुत
सचमुच में जो विद्वान बड़ा इंसान है वो नादान बहुत
नभ में उड़ जल में तैर के भी चलना न राह पर आता है
उसे भीड़ भरी सड़को में सभी के संग चलना सिखलाना है

हो देश कोई परिवेश कोई है हवा दूर औ" पास वही
है धरती औ" आकाश वही मन के विचार विश्वास वही
है स्वार्थ प्रबल ममता को मसल जो लोगों को लड़वाता है
धन धर्म देश भाषा या रंग ओछा एक झूठ बहाना है

यदि स्वार्थो में टकराव न हो आपस में द्वेष दुराव न हो
सब मन खोलें नित सच बोलें सहयोग से कोई अभाव न हो
तो हो सुख शांति समृद्धि सुलभ इतिहास बताता आया है
दुख व्याधि गरीबी कटुता सब मिट जायें सहज समझाना है

युग से लड़ते कटते मरते जिसने नित खून बहाया है
पाने की आशा में जिसने खोया ज्यादा कम पाया है
उस दुनियां के रहने वालों अब समय बदलना है
श्रंगार नया कर इस अपनी दुनियां को एक बनाना है


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