शुभवस्त्रे हंस वाहिनी वीण वादिनी शारदे ,
संसार को अवलंब दे आधार दे !
रही घर घर निरंतर आज धन की साधना ,
स्वारथ के चंदन अगरु से अर्चना आराधना
आतम वंचित मन सशंकित विश्व बहुत उदास है
,चेतना जग की जगा मां वीण की झंकार दे !
संसार को अवलंब दे आधार दे !
रही घर घर निरंतर आज धन की साधना ,
स्वारथ के चंदन अगरु से अर्चना आराधना
आतम वंचित मन सशंकित विश्व बहुत उदास है
,चेतना जग की जगा मां वीण की झंकार दे !
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