आये हैं इस संसार में दिनचार के लिए
    प्रो सी बी श्रीवास्तव
    सी ६ विद्युत मण्डल कालोनी 
    रामपुर जबलपुर
सब जी रहे हैं जिन्दगी पीरवार के लिए
पर मन में भारी प्यास लिए प्यार के लिए ।
सुख दिखता तो जरूर है पर िमलता नही है
शायद मिले जो हम जिये संसार के लिए।।1।।
  हर दिन यहॉ हर एक की नई भाग दौड है
  औरो से अधिक पाने की मन मे होड है।
  सुख से सही उसका नही कोई है  वास्ता 
  सारी यह आपाधापी है अधिकार के लिए।।2।।
अधिकार ने सबको सदा पर क्षोभ दिया है
जिसको मिला उसको यहॉ बेचैन किया है।
अिधेकार और धन से कभी भी भर न सका मन 
रहा हट नई चाहत व्यापार के लिए ।।3।।
  भरमाया सदा मोह ने माया ने फंसाया 
  खुद के सिवा कोई कभी कुछ काम न आया 
  रातें रही हों चॉदनी या घोर अंधरी
  व्याकुल रहा है घर के ही विस्तार के लिए।।4।।
सचमुच यहॉ पर आदमी गुमराह बहुत है
कर पाता है थोडा सा ही करने को बहुत हैं ।
हम जो भी करे नाथ ! हमें इतना ध्यान हो 
आये हैं इस संसार में दिन चार के लिए।।5।।
  हमें दीजिए भगवान वह सामथ्र्य और ज्ञान 
  रहे शुध्द जिससे भावना साित्वक रहे विधान 
  कुछ ऐसा बने हमसे जो हो जग मे काम का
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