शनिवार, 19 मार्च 2011

होलिका को ध्वस्त कर पूजा करें प्रहलाद की

होली

प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव ‘विदग्ध‘
ओ.बी. 11 एम.पी.ई.बी. कालोनी, रामपुर, जबलपुर म.प्र.


कट गये वन , घट गये वन ,दुख में है हर एक मन
हरे जंगल देखने को ,अब तरसते हैं नयन
उजाड़ो मत , नये उगाओ वृक्ष हर परिवेश में
देश हित में है जरूरी , मत करो होली दहन


हर्ष हो , उत्साह हो , हो फाग रंग गुलाल से
नेह बरसे , प्रीति सरसे , किसी से न मलाल हो
लकड़ी अब मिलती नहीं , लोगों को अब शव दाह को
बंद हो लकड़ी जला होली मनाने का चलन

होलिका को ध्वस्त कर पूजा करें प्रहलाद की
चेतना नव सृजन की हो वृद्धि हो आल्हाद की
धरा हो फिर से हरी सबके समृद्ध प्रयास से
सुखी हो संसार सबका प्रकृति की फिर पा शरण

हटा के ज्वाला विनाशी , बढ़ायें मन की चमक
आपसी सद्भाव की हर घर गली निखरे झलक
होलिका तो जली सदियो विजय हुई प्रल्हाद की
पर्व अब प्रल्हाद का हो , हो नया पर्यावरण .

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