मंगलवार, 4 दिसंबर 2012

भावनाओ से सजा है जिंदगी का शामियाना


शामियाना

प्रो सी बी श्रीवास्तव "विदग्ध "
ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो ९४२५४८४४५२


भावनाओ से सजा है जिंदगी का शामियाना
रूप रंग जिसके सुहाने जो नही होता पुराना

चंदोबे , परदे सजीले , रंगीली जिसकी कनातें
झिलमिली शुभ झालरों से जगमगाता जो सुहाना

पर सजाने इसे ऐसा श्रम समझ की है जरूरत
कब कहाँ कठिनाईयां क्या हों, कठिन है यह बताना

सब सुभीते हों जहां मन चाहता वह ठौर लेकिन
कहां पर लग पायेगा इसका नही कोई ठिकाना

लगाने या उठाने में चलती है मालिक की मर्जी
जिसकी पाबन्दी जरूरी , चलता नही कोई बहाना

मेल औ" सद्भावना का बांटता संदेश सबको
जहाँ भी होता यही कर्तव्य उसको है निभाना

प्रेम की ही भूख है संसार में हर एक जन को
प्रेम मय शुभकामना ही चाहता सारा जमाना

करता है स्वागत सभी का प्रेम का उपहार देता
रीति यह पावन "विदग्ध ", सिखाता है शामियाना

सोमवार, 15 अक्टूबर 2012

अनवरत सेवा हमारे लायन्स क्लब की जान है


अनवरत सेवा हमारे लायन्स क्लब की जान है

प्रो सी बी श्रीवास्तव विदग्ध
ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर ,जबलपुर

अनवरत सेवा हमारे लायन्स क्लब की जान है
क्योकि सेवा ही सही इंसान की पहचान है
दीन दुखियो में ही  रहता है कहीं भगवान भी
सार हर एक धर्म का बस त्याग ,तप, व्रत , दान है
अनवरत सेवा हमारे लायन्स क्लब की जान है


आये दिन नई आग में जलता विवश संसार है
हर घाव को भरता जो , वो , केवल प्यार है
दवायें तो बिकती हैं कई यों सभी बाजार में
स्नेह ही लेकिन समस्या का सही उपचार है
अनवरत सेवा हमारे लायन्स क्लब की जान है


जी रहे जो लोग जन जन की खुशी के वास्ते
द्वार से उनके ही मिलते प्रेम के कई रास्ते
निस्वार्थ सेवा सात्विक हो धर्म का उपदेश है
कुछ न कुछ सेवा हमें करनी है  हर दिन याद से
अनवरत सेवा हमारे लायन्स क्लब की जान है


स्वस्थ तन मन और धन भगवान का वरदान है
औरो का हित करने में सुख शांति जग कल्याण है
विश्व सेवा व्रत लिये सर्वस्व सेवा के लिये
विश्व व्यापी संगठन का यह सतत अभियान है
अनवरत सेवा हमारे लायन्स क्लब की जान है


आदमी दुनियां में दो दिन का ही मेहमान है
जुटाता पर हर तरह सौ साल का सामान है
पर सामाजिक हित हो जिससे , हर किसी को लाभ हो
लायंस इस पर अमल करते , क्लब को यही अभिमान है .
 अनवरत सेवा हमारे लायन्स क्लब की जान है





रविवार, 19 अगस्त 2012

ईद मुबारक


ईद मुबारक
(प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव, विदग्ध, ओ.बी. 11, रामपुर जबलपुर )

ईद के चांद की खोज मे हर बरस दिखती दुनिया बराबर ये बेजार है
बांटने को मगर सब पे अपनी खुशी कम ही दिखता कहीं कोई तैयार है

ईद दौलत नही कोई दिखावा नही ईद जज्बा है दिल का खुशी  की घडी
रस्म कोरी नही जो कि केवल निभे ईद का दिल से गहरा सरोकार है

है मुबारक घडी करने एहसास ये रिश्ता हर एक का हरेक इंसान से
अपने को और को और कुदरत को भी समझने को खुदा का ये फरमान है

है गुंथी साथ सबकी यहां जिदंगी सबका मिलजुल के रहना है लाजिम यहां
सबके ही मेल से दुनिया रंगीन है प्यार से खूबसूरत ये संसार है

मोहब्बत आदमियत मेल मिल्लत ही तो सिखाते है सभी मजहब संसार में
हो अमीरी गरीबी या कि मुफलिसी कोई झुलसे न नफरत के अंगार में

सिर्फ घर गांव शहरो ही तक में नही देश दुनिया मे खुशियो की खुशबू बसे
है खुदा से दुआ उसे सदबुद्धि दे जो जहां भी कही कोई गुनहगार है

ईद सबको खुशी से गले से लगा सिखाती बांटना आपसी प्यार है
है मसर्रत की पुर नूर ऐसी घडी जिसको दिल से मनाने की दरकार है

दी खुदा ने मोहब्बत की नेमत मगर आदमी भूल नफरत रहा बाटता
राह ईमान की चलने का वायदा खुद से करने का ईद एक त्यौहार है

जो भी कुछ है यहा सब खुदा का दिया वह सबका किसी एक का है नही
बस जरूरत है ले सब खुशी से जिये सभी हिल मिल जहां पर भी हो जो कही

खुदा सबका है सब पर मेहरबान है जो भी खुदगर्ज है वह ही बेईमान है
भाई चारा बढे औ मोहब्बत पले ईद का यही पैगाम इसरार है।

गुरुवार, 2 अगस्त 2012

नारी


नारी
(प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव, विदग्ध, ओ.बी. 11, रामपुर जबलपुर )

नारी के कई रूप हैं दुनियां में हमारी
माँ पत्नी बहिन देवी या फिर बेटी दुलारी

नारी को प्रकृति ने सहज जननी है बनाया
नारी में है भगवान के ही रूप की छाया
नारी में सृजन शक्ति का भंडार भरा है
सच उसकी इसी शक्ति से संसार हरा है
जग को प्रकृति का एक बड़ा उपहार है नारी
संसार के विस्तार का आधार है नारी

नारी है सजल सरिता , धरा सी उदार है
कोमल कुसुम सी , जिसके मन में गहरा प्यार है
नारी है सुगंधित समीर सी सुहावनी
संजीवनी है प्रेरणा है प्राण दायिनी
संतप्त को गंगा सी सरसधार है नारी
हर क्षोभ मनस्ताप का उपचार है नारी,
नारी के कई रूप हैं दुनियां में हमारी


छवि औ गुणो की नारी में अनमोल झलक है
जिसका सुरूप निरखने मिटती न ललक है
गृहिणी के बिना फीकी सी है होली दिवाली
घर मे जहाँ नारी नहीं वह दिखता है खाली
हर झोपड़ी या महल का श्रृगांर है नारी
हो एक भी ,  पूरा भरा परिवार है नारी,
नारी के कई रूप हैं दुनियां में हमारी


नारी है सरस्वती भी ,लक्ष्मी भी , शिवा भी
ममता की तो मूरत है मगर जलता तवा भी
नारी ही कभी दुर्गा , है वह ही कभी काली
अरिमर्दिनी कभी , कभी फुफकारती व्याली
जिससे  कि इस संसार की हर शक्ति है हारी
चपला सी चपल कौधंती तलवार भी नारी
नारी के कई रूप हैं , दुनियां में हमारी

गुरुवार, 12 जुलाई 2012

महाकवि तुलसी को श्रद्धांजलि
(प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव, विदग्ध, ओ.बी. 11, रामपुर जबलपुर )

हे राम कथा अनुगायक तुलसी जन मन के अनुपम ज्ञाता
तुनमे जो गौरव गं्रथ लिखा भटको को वह पथ दिखलाता

मानस हिंदी का चूडामणि मानवता हित तव अमर दान
संचित जिसमे सब धर्म, नीति, व्यवहार, प्रीति आदर्ष ज्ञान

है वृती उपासक राम भक्त अनुरक्त सतत साधक ज्ञानी
तुमने जीवन को समझ सही भावो को दी मार्मिक वाणी

जनभाषा मे करके व्याख्या लिख दी जीवन की परिभाषा
अनुषीलन जिसका देता है दुख मे डूबे मन को आषा

भोैतिक संतापो से झुलसी जीवन लतिका जो मुरझाई
मनस जल कण से सिंचित हो फिर पा सकती नई हरियाई

तुम भारत के ही नही सकल मानवता के गौरव महान
गुरू श्रेष्ठ महाकवि हे तुलसी तुम अतुल विमल नभ के समान

हे भारत संस्कृति समन्वयक नित राम तत्व के गुणगायक
तुम धर्म शील गुण संस्थापक सात्विक मर्यादा उन्नायक

षिव शक्ति विष्णु की त्रिधा मिला शुभ राम भक्ति के उदगाता
हितकर सामाजिक मूल्यो के तुम सर्जक नव जीवन दाता

सब अपना लेते यदि उसको जो पथ है तुमने दिखलाया
तो हो सुख संसार सुलभ मन जिसे चाहता नित पाता

पर कमी हमारी ही हममे है कई स्वार्थी संसारी
लेकिन जिस मन तब राम बसे वह सतत तुम्हारे आभारी

साहित्य जगत के प्रखर सूर्य से भासमान हे ख्यातनाम
अभिवादन मे तब चरणो मे शत शत वंदन शत शत प्रणाम






रामचरितमानस
(प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव, विदग्ध, ओ.बी. 11, रामपुर जबलपुर )

रामचरित मानस कथा आकर्षक वृतांत
श्रद्धापूर्वक पाठ से मन होता है शांत

शब्द भाव अभिव्यक्ति पै रख पूरा अधिकार
तुलसी ने इसमे भरा है जीवन का सार

भव्य चरित्र श्री राम का मर्यादित व्यवहार
पढे औ समझे मनुज तो हो सुखमय संसार

कहीं न ऐसा कोई भी जिसे नही प्रिय राम
निषाचरो ने भी उन्हें मन से किया प्रणाम

दिया राम ने विष्व को वह जीवन आदर्ष
करके जिसका अनुकरण जीवन हो हर्ष

देता निष्छल नेह ही हर मन को मुस्कान
धरती पै प्रचलित यही शाष्वत सहज विधान

लोभ द्वेष छल नीचता काम क्रोध टकरार
शत्रु है वे जिनसे मिटे अब तक कई परिवार

सदाचार संजीवनी है समाज का प्राण
सत्य प्रेम तप त्याग से मिलते है भगवान

भक्ति प्रमुख भगवान की देती सुख आंनद
निर्मल मन मंदिर मे भी बसे सच्चिदानंद


कर्मण्येवाधिकारस्ते
(प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव, विदग्ध, ओ.बी. 11, रामपुर जबलपुर )

त्याग के कर्ता का अभिमान, कर्म तू करता जा इंसान
किंतु फल पैं न तेरा अधिकार फल तो बस देते है भगवान

कर्म का है कृषि सा विज्ञान बीज बोना ही सदा प्रधान
फसल मे क्या होगा उत्पन्न बीज से ही होती है पहचान

बेर के पौधे देते बेर आम के पौधे देते आम
बुरे का फल भी होता बुरा भले का सदा भला परिणाम

समझ के मन मे इतनी बात सदा करता चल सारे काम
बीज, हल-समय हैं तेरे साथ, फसल देने वाले हैं राम

कभी कम हो न तेरा  उत्साह, लिये नित आषा और उमंग
सजग रह बढा आत्मविष्वास बढा चल निर्भयता के संग

सुख या दुख देते सबको सदा विचारो के अपने ही ढंग
प्रेरणा देती मन को नित भावना की ही तरल तरंग

आदमी है खुद अपना मित्र स्वंय ढोना होता है भार
समय श्रम को देते जो मान साथ देता उनका संसार

बढा चल कभी न हिम्मत हार कभी मत त्याग कर्म का प्यार
कर्म ही है जीवन आंनद यही तो है गीता का सार

 


भगवत गीता
(प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव, विदग्ध, ओ.बी. 11, रामपुर जबलपुर )

श्री कृष्ण का संसार को वरदान है गीता
निष्काम कर्म का बडा गुणगान है गीता
दुख के महासागर मे जो मन डूब गया हो
अवसाद की लहरो मे उलझ ऊब गया हो
तब भूल भुलैया मे सही राह दिखाने
कर्तव्य के सत्कर्म से सुख शांति दिलाने
संजीवनी है एक रामबाण है गीता
पावन पवित्र भावो का संधान है गीता

है धर्म का क्या मर्म कब करना क्या सही है
जीवन मे व्यक्ति क्या करे गीता मे यही है
पर जग के वे व्यवहार जो जाते न सहे है
हर काल हर मनुष्य को बस छलते रहे है
आध्यात्मिक उत्थान का विज्ञान है गीता
करती हर एक भक्त का कल्याण है गीता

है शब्द सरल अर्थ मगर भावप्रवण है
ले जाते है जो बुद्धि को गहराई गहन मे
ऐसा न कहीं विष्व मे कोई ग्रंथ ही दूजा
आदर से जिसकी होती है हर देष मे पूजा
भारत के दृष्टिकोण की पहचान है गीता

सारी मनुष्य जाति का कल्याण है गीता।

शुक्रवार, 16 मार्च 2012

भारत माँ

भारत माँ

प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव
ओ.बी. 11, एमपीईबी रामपुर, जबलपुर
मो.9425806252
स्नेह की प्रतिमा सुहानी हमारी भारत है माँ
दुनियाँ मे दिखता न कोई दूसरा ऐसा यहाँ

भाल है काश्मीर जिस पर हिम किरीट ताज है
है हिमाचल चन्द्रमुख जिसका सुखद भूभाग है

दिल है दिल्ली, यू पी राजस्थान हैं वक्षस्थली
कुरूक्षेत्र जहाँ पै" जन्मी गीता वह पुण्य स्थली

गंगा यमुना सरस्वती जिसके गले का हार है
करधनी सी नर्मदा औ" ताप्ती की धार है

बिहार छत्तीसगढ महाराष्ट्र कहते रामायण कथा
आंध्र कर्नाटक तमिलनाडु बताते मन की व्यथा

हरा केरल भरा गुजरात असम और पूर्वाचंल
अंग बंग औ" उडीसा लहराते सुदंर वनांचल

कृष्णा कावेरी हैं नुपुर ,चरण धोता है जलधि
सुनहरी पूरब क्षितीज है पश्चिम में नीला उदधि

हिमालय सा उच्च पर्वत गंगा सी पावन नदी
राम कृष्ण की मातृ भू यह सदा सुख साधन भरी

आज भी आध्यात्म में ऊंचा इसी का नाम है
प्राकृतिक सौंदर्य सुख भंडार सब अभिराम है

जन्म पाने को तरसते देवता सब भी जहाँ
वह अनोखी इस जगत में एक ही भारत है माँ।

रविवार, 26 फ़रवरी 2012

पुस्तकें

पुस्तकें

प्रो सी बी श्रीवास्तव विदग्ध
ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , जबलपुर

युग से संचित ज्ञान का भंडार हैं ये पुस्तकें
सोच और विचार का संसार हैं ये पुस्तकें

देखने औ" समझने को खोलती नई खिड़कियां
ज्ञानियो से जोड़ने को तार हैं ये पुस्तकें

इनमें रक्षित धर्म संस्कृति आध्यात्मिक मूल्य है
जग में अब सब प्रगति का आधार हैं ये पुस्तकें

घर में बैठे व्यक्ति को ये जोड़ती हैं विश्व से
दिखाने नई राह नित तैयार हैं ये पुस्तकें

देती हैं हल संकटो में और हर मन को खुशी
संकलित सुमनो का सुरभित हार हैं ये पुस्तकें

कलेवर में अपने ये हैं समेटे इतिहास सब
आने वाले कल को एक उपहार हैं ये पुस्तकें

हर किसी की पथ प्रदर्शक और सच्ची मित्र हैं
मनोरंजन सीख सुख आगार हैं ये पुस्तकें

किसी से लेती न कुछ भी सिर्फ देती हैं ये स्वयं
सिखाती जीना औ" शुभ संस्कार हैं ये पुस्तकें

पुस्तको बिन पल न सकता कहीं सभ्य समाज कोई
फलक अमर प्रकाश जीवन सार हैं ये पुस्तकें