उपान्यास सम्राट मुंशी प्रेम चंद के प्रति
प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव विदग्ध
ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी रामपुर , जबलपुर
साहित्य मनीषी हिन्दी के अनुपम लेखक औ" कथाकार
तुम अमर कलम के जादूगर पाठक के अति प्रिय कण्ठहार
तुम प्रेम सरीके सुखद और नित शरद चंद्र से मनभावन
हे प्रेमचंद तुम हिन्दी के सुखदायी सरस मोहक सावन
हे सरल सफल साहित्यकार मर्मज्ञ गुणी ज्ञानी महान
हे ग्राम पुत्र भारत सपूत उज्जवल निरभ्र नभ के समान
शोषित जन के तुम अधिवक्ता आर्थिक समता के पक्षकार
निर्धन दुर्बल कर्मठ कृतज्ञ आलोचक संतोषी अपार
भाषा भावों अभिव्यक्ति सभी पर रखकर के पूर्णाधिकार
तुम राष्ट्र प्रेम की प्रबल भावना के उद्गाता निर्विकार
हे उपन्यास सम्राट ग्राम्य जीवन के निश्छल चित्रकार
तुमने पात्रो को रंग दिये जो चटक सजीले चमकदार
तुमको पा हिन्दी गौरवान्वित तुमसे हम सब उन्नत्त भाल
दुनिया में कई भाषाओ ने पायी तुमसे थाती विशाल
बातें करता गोदान लिये होरी धनिया से अमर पात्र
युग बीत गया तुम चले गये रह गयी उस युग की याद मात्र
रंग कभी न होंगे फीके वे हैं इतने गहरे असरदार
उत्प्रेरक बन मानवता को देंगे परिवर्तन के विचार
हे हिन्दी के कर्मठ योगी साधक पथदर्शक धन्य नाम
अर्पित श्रद्धा के सुमन तुम्हें सत विनत नमन अगणित प्रणाम
प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव विदग्ध
ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी रामपुर , जबलपुर
साहित्य मनीषी हिन्दी के अनुपम लेखक औ" कथाकार
तुम अमर कलम के जादूगर पाठक के अति प्रिय कण्ठहार
तुम प्रेम सरीके सुखद और नित शरद चंद्र से मनभावन
हे प्रेमचंद तुम हिन्दी के सुखदायी सरस मोहक सावन
हे सरल सफल साहित्यकार मर्मज्ञ गुणी ज्ञानी महान
हे ग्राम पुत्र भारत सपूत उज्जवल निरभ्र नभ के समान
शोषित जन के तुम अधिवक्ता आर्थिक समता के पक्षकार
निर्धन दुर्बल कर्मठ कृतज्ञ आलोचक संतोषी अपार
भाषा भावों अभिव्यक्ति सभी पर रखकर के पूर्णाधिकार
तुम राष्ट्र प्रेम की प्रबल भावना के उद्गाता निर्विकार
हे उपन्यास सम्राट ग्राम्य जीवन के निश्छल चित्रकार
तुमने पात्रो को रंग दिये जो चटक सजीले चमकदार
तुमको पा हिन्दी गौरवान्वित तुमसे हम सब उन्नत्त भाल
दुनिया में कई भाषाओ ने पायी तुमसे थाती विशाल
बातें करता गोदान लिये होरी धनिया से अमर पात्र
युग बीत गया तुम चले गये रह गयी उस युग की याद मात्र
रंग कभी न होंगे फीके वे हैं इतने गहरे असरदार
उत्प्रेरक बन मानवता को देंगे परिवर्तन के विचार
हे हिन्दी के कर्मठ योगी साधक पथदर्शक धन्य नाम
अर्पित श्रद्धा के सुमन तुम्हें सत विनत नमन अगणित प्रणाम