गुरुवार, 12 जुलाई 2012


भगवत गीता
(प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव, विदग्ध, ओ.बी. 11, रामपुर जबलपुर )

श्री कृष्ण का संसार को वरदान है गीता
निष्काम कर्म का बडा गुणगान है गीता
दुख के महासागर मे जो मन डूब गया हो
अवसाद की लहरो मे उलझ ऊब गया हो
तब भूल भुलैया मे सही राह दिखाने
कर्तव्य के सत्कर्म से सुख शांति दिलाने
संजीवनी है एक रामबाण है गीता
पावन पवित्र भावो का संधान है गीता

है धर्म का क्या मर्म कब करना क्या सही है
जीवन मे व्यक्ति क्या करे गीता मे यही है
पर जग के वे व्यवहार जो जाते न सहे है
हर काल हर मनुष्य को बस छलते रहे है
आध्यात्मिक उत्थान का विज्ञान है गीता
करती हर एक भक्त का कल्याण है गीता

है शब्द सरल अर्थ मगर भावप्रवण है
ले जाते है जो बुद्धि को गहराई गहन मे
ऐसा न कहीं विष्व मे कोई ग्रंथ ही दूजा
आदर से जिसकी होती है हर देष मे पूजा
भारत के दृष्टिकोण की पहचान है गीता

सारी मनुष्य जाति का कल्याण है गीता।

1 टिप्पणी:

संगीता पुरी ने कहा…

बढिया प्रसतुति ..

गीता का जबाब नहीं !!