पर्यटन
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव
‘विदग्ध‘
ओ.बी. 11, एमपीईबी कालोनी
रामपुर, जबलपुर
मो. 9425484452
देख के कोई चित्र अलबम
सुन के या करके पठन
जानते जब है कहीं कोई
किला या ऐतिहासिक भवन
उनकी दर्शन लालसा तब
पालता हर एक जन
बस इसी परिकल्पना की
पूर्ति हित है पर्यटन
नदी निर्मल नीर निर्झर
पडे पौधे वन सघन
देख अनुपम प्रकृति
शोेभा मुदित हो जाता है मन
भूल सब दुखदर्द जग
के शांति पाते है नयन
इन्ही मन की चाह पूरी
करने होता पर्यटन
मिलती है खुशियाॅ तो
संग ही बढता है ज्ञान धन
मिलती नई नई जानकारी
बहुतो से होता मिलन
यात्रा के होते अनुभव
बुद्धि पाती उन्नयन
है अनेको ज्ञान गुण
का लाभदाता पर्यटन
सभी के मन को है भाता
यभा संभव परिभ्रमण
बढाना संपर्क कई से
करना नव ज्ञानार्जन
हर जगह उपलब्ध है अब
सुविधाये भोजन शयन
साथ ही आवागम की सुखद
इससे पर्यटन
तीर्थ दर्शन देव दर्शन
प्राकृतिक पर्यावरण
निरख कर मन सोचता करता
कभी चिंतन मनन
कौन है वह शक्ति जिसमे
किया इन सबका सृजन
प्रकृति पूजा आत्मचिंतन
भाव देता पर्यटन
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