बेटी का संसार
बड़ा भावमय त्यागमय बिटिया का संसार
प्रेम पगा है मन मगर, नैन अश्रु की धार
बिटिया लक्ष्मी लाडली है घर का सिंगार
जिसका जीवन सजाता है दो-दो परिवार
होना चाहिये घरो में बेटी का सम्मान
बिटिया बिन संभव कहां धार्मिक विविध विधान
गुणी बेटियां बढ़ाती हैं दो घर की शान
दे देती परिवार को एक नई पहचान
अच्छा घर-वर देखकर कर बेटी का ब्याह
खश होते माता-पिता जैसे शाहंशाह
घर जिस पर था जनम से बेटी का अधिकार
हो जाता भावंर पडे सात समदंर पार
नये देश में लोग नये घर बिल्कुल अंजान
सबसे पाती नई बहू उचित मान-सम्मान
घुलमिल सबसे और कर आदर मय व्यवहार
पाती बहुएं चार दिन में घर पर अधिकार
रीति यहीं संसार की रहकर सबके साथ
भुला न पाती बेटियां पर मयके की याद
दोनों घर परिवार की मर्यादा को मान
करती सब व्यवहार रख लोक लाज का ध्यान
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव ‘विदग्ध‘
प्रकाशित किताबें ...ईशाराधन ,वतन को नमन, अनुगुंजन, नैतिक कथाये, आदर्श भाषण कला, कर्म भूमि के लिये बलिदान,जनसेवा, अंधा और लंगड़ा ,मुक्तक संग्रह,मेघदूतम् हिन्दी पद्यानुवाद ,रघुवंशम् पद्यानुवाद,समाजोपयोगी उत्पादक कार्य ,शिक्षण में नवाचार
गुरुवार, 28 अक्टूबर 2010
शनिवार, 23 अक्टूबर 2010
बदल दिया है नव विकास ने मेरे भारत देश को
बदल दिया है नव विकास ने मेरे भारत देश को
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव विदग्ध‘
ओ.बी. 11, एमपीईबी कालोनी रामपुर, जबलपुर
मो. 9425806252
बदल दिया है नव विकास ने मेरे भारत देश को
लोगो के मन को शहरों को तथा ग्राम्य परिवेश को,
साफ प्रभाव दिखाई देता, गांव, खेत, खलिहान पर
झटक दिया लोगो ने सात्विक सामाजिक आवेश को
सिर्फ बाहरी रूप न बदला मन में भी बदलाव है
आत्मयिता घटी, रिश्तो में अब न रहा लगाव है
कमी आ गई परिवारों में , आपस के संवाद में
सुनती नहीं नई पीढ़ी अब, वृद्धो के आदेश को।
बढ़ तो रहा देश तकनीकी शिक्षा के अवदान से
पर संस्कारहीन से शिक्षित है झूठे अभिमान से
हवा पश्चिमी उड़ा ले गई मधुर भारतीय भावना
डिग्री ले नवयुवक भागते सर्विस को परदेश को
बूढ़े मात पिता है घर में पर उनकी परवाह नहीं
सिर्फ कमाने धन विदेश जाने की मन में चाह रही
समस्यायें कई बढ़ती जाती नई नई परिवारों में
ध्यान नहीं सुनने रामायाण गीता के संदेश को
ग्रामीणों से दूर हो गये जंगल नदी पहाड़ है
पेड़ कटे सब चित्रकूट दण्डक वन हुये उजाड है
विवश ग्राम्य जन दुखी छोड घर, निकल चले है गांव से
क्योंकि उन्हें हल करना रोटी के बढ़ रहे कलेश को
नये परिवर्तन की आंधी से घर सब चकनाचूर है
राम राज्य के सपने सबसे अब भी कोसों दूर है
मन में धार्मिक मान्यताओं का घटा बहुत सम्मान है
दया, दान , सेवा के बदले लालच बढ़ा विशेष है।
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव ‘विदग्ध‘
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव विदग्ध‘
ओ.बी. 11, एमपीईबी कालोनी रामपुर, जबलपुर
मो. 9425806252
बदल दिया है नव विकास ने मेरे भारत देश को
लोगो के मन को शहरों को तथा ग्राम्य परिवेश को,
साफ प्रभाव दिखाई देता, गांव, खेत, खलिहान पर
झटक दिया लोगो ने सात्विक सामाजिक आवेश को
सिर्फ बाहरी रूप न बदला मन में भी बदलाव है
आत्मयिता घटी, रिश्तो में अब न रहा लगाव है
कमी आ गई परिवारों में , आपस के संवाद में
सुनती नहीं नई पीढ़ी अब, वृद्धो के आदेश को।
बढ़ तो रहा देश तकनीकी शिक्षा के अवदान से
पर संस्कारहीन से शिक्षित है झूठे अभिमान से
हवा पश्चिमी उड़ा ले गई मधुर भारतीय भावना
डिग्री ले नवयुवक भागते सर्विस को परदेश को
बूढ़े मात पिता है घर में पर उनकी परवाह नहीं
सिर्फ कमाने धन विदेश जाने की मन में चाह रही
समस्यायें कई बढ़ती जाती नई नई परिवारों में
ध्यान नहीं सुनने रामायाण गीता के संदेश को
ग्रामीणों से दूर हो गये जंगल नदी पहाड़ है
पेड़ कटे सब चित्रकूट दण्डक वन हुये उजाड है
विवश ग्राम्य जन दुखी छोड घर, निकल चले है गांव से
क्योंकि उन्हें हल करना रोटी के बढ़ रहे कलेश को
नये परिवर्तन की आंधी से घर सब चकनाचूर है
राम राज्य के सपने सबसे अब भी कोसों दूर है
मन में धार्मिक मान्यताओं का घटा बहुत सम्मान है
दया, दान , सेवा के बदले लालच बढ़ा विशेष है।
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव ‘विदग्ध‘
शुक्रवार, 22 अक्टूबर 2010
नारी से ही सजे हैं , सब आंगन घर द्वार
नारी से ही सजे हैं , सब आंगन घर द्वार
नारी के बिन कहीं भी, सरस नहीं संसार
नारी सुख संतोषप्रद पावन उसका प्यार
जिसकी आंचल छांव में पलता हर परिवार
जीवन रथ के नारी नर है दो चक्र समान
बिना एक के दूसरे का न कहीं सम्मान
लता वृक्ष ज्यों शोभते बांट परस्पर प्यार
हर घर होना चाहिये ऐसा ही व्यवहार
जीवन जीने का सही प्रेम बड़ा आधार
जहां प्रेम है सुलभ भी वहीं सभी अधिकार
देता सुख संतोष सब आपस का विश्वास
भरती चंपा गंध सी मन में मधुर मिठास
घर की शोभा नारि से नर की शोभा नारि
नर-नारी के मेल से प्रमुदित हर परिवार
नारि उपस्थिति बांटता घर में नया उजास
जो न खनकती चूड़िया सूनेपन का भास
नारि कमल के फूल सम लक्ष्मी का अवतार
जिसका घर के लोग संग है मोहक अधिकार
पितुगृह पतिगृह नारि के नदिया के दो पाट
बचपन सजता इस तरफ घर बसता उस पार
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव ‘विदग्ध‘
ओ.बी. 11, एमपीईबी कालोनी
रामपुर, जबलपुर
मो. 9425806252A
नारी के बिन कहीं भी, सरस नहीं संसार
नारी सुख संतोषप्रद पावन उसका प्यार
जिसकी आंचल छांव में पलता हर परिवार
जीवन रथ के नारी नर है दो चक्र समान
बिना एक के दूसरे का न कहीं सम्मान
लता वृक्ष ज्यों शोभते बांट परस्पर प्यार
हर घर होना चाहिये ऐसा ही व्यवहार
जीवन जीने का सही प्रेम बड़ा आधार
जहां प्रेम है सुलभ भी वहीं सभी अधिकार
देता सुख संतोष सब आपस का विश्वास
भरती चंपा गंध सी मन में मधुर मिठास
घर की शोभा नारि से नर की शोभा नारि
नर-नारी के मेल से प्रमुदित हर परिवार
नारि उपस्थिति बांटता घर में नया उजास
जो न खनकती चूड़िया सूनेपन का भास
नारि कमल के फूल सम लक्ष्मी का अवतार
जिसका घर के लोग संग है मोहक अधिकार
पितुगृह पतिगृह नारि के नदिया के दो पाट
बचपन सजता इस तरफ घर बसता उस पार
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव ‘विदग्ध‘
ओ.बी. 11, एमपीईबी कालोनी
रामपुर, जबलपुर
मो. 9425806252A
बदल दिया है नव विकास ने मेरे भारत देश को
बदल दिया है नव विकास ने मेरे भारत देश को
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव विदग्ध‘
ओ.बी. 11, एमपीईबी कालोनी रामपुर, जबलपुर
मो. 9425806252
बदल दिया है नव विकास ने मेरे भारत देश को
लोगो के मन को शहरों को तथा ग्राम्य परिवेश को,
साफ प्रभाव दिखाई देता, गांव, खेत, खलिहान पर
झटक दिया लोगो ने सात्विक सामाजिक आवेश को
सिर्फ बाहरी रूप न बदला मन में भी बदलाव है
आत्मयिता घटी, रिश्तो में अब न रहा लगाव है
कमी आ गई परिवारों में , आपस के संवाद में
सुनती नहीं नई पीढ़ी अब, वृद्धो के आदेश को।
बढ़ तो रहा देश तकनीकी शिक्षा के अवदान से
पर संस्कारहीन से शिक्षित है झूठे अभिमान से
हवा पश्चिमी उड़ा ले गई मधुर भारतीय भावना
डिग्री ले नवयुवक भागते सर्विस को परदेश को
बूढ़े मात पिता है घर में पर उनकी परवाह नहीं
सिर्फ कमाने धन विदेश जाने की मन में चाह रही
समस्यायें कई बढ़ती जाती नई नई परिवारों में
ध्यान नहीं सुनने रामायाण गीता के संदेश को
ग्रामीणों से दूर हो गये जंगल नदी पहाड़ है
पेड़ कटे सब चित्रकूट दण्डक वन हुये उजाड है
विवश ग्राम्य जन दुखी छोड घर, निकल चले है गांव से
क्योंकि उन्हें हल करना रोटी के बढ़ रहे कलेश को
नये परिवर्तन की आंधी से घर सब चकनाचूर है
राम राज्य के सपने सबसे अब भी कोसों दूर है
मन में धार्मिक मान्यताओं का घटा बहुत सम्मान है
दया, दान , सेवा के बदले लालच बढ़ा विशेष है।
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव ‘विदग्ध‘
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव विदग्ध‘
ओ.बी. 11, एमपीईबी कालोनी रामपुर, जबलपुर
मो. 9425806252
बदल दिया है नव विकास ने मेरे भारत देश को
लोगो के मन को शहरों को तथा ग्राम्य परिवेश को,
साफ प्रभाव दिखाई देता, गांव, खेत, खलिहान पर
झटक दिया लोगो ने सात्विक सामाजिक आवेश को
सिर्फ बाहरी रूप न बदला मन में भी बदलाव है
आत्मयिता घटी, रिश्तो में अब न रहा लगाव है
कमी आ गई परिवारों में , आपस के संवाद में
सुनती नहीं नई पीढ़ी अब, वृद्धो के आदेश को।
बढ़ तो रहा देश तकनीकी शिक्षा के अवदान से
पर संस्कारहीन से शिक्षित है झूठे अभिमान से
हवा पश्चिमी उड़ा ले गई मधुर भारतीय भावना
डिग्री ले नवयुवक भागते सर्विस को परदेश को
बूढ़े मात पिता है घर में पर उनकी परवाह नहीं
सिर्फ कमाने धन विदेश जाने की मन में चाह रही
समस्यायें कई बढ़ती जाती नई नई परिवारों में
ध्यान नहीं सुनने रामायाण गीता के संदेश को
ग्रामीणों से दूर हो गये जंगल नदी पहाड़ है
पेड़ कटे सब चित्रकूट दण्डक वन हुये उजाड है
विवश ग्राम्य जन दुखी छोड घर, निकल चले है गांव से
क्योंकि उन्हें हल करना रोटी के बढ़ रहे कलेश को
नये परिवर्तन की आंधी से घर सब चकनाचूर है
राम राज्य के सपने सबसे अब भी कोसों दूर है
मन में धार्मिक मान्यताओं का घटा बहुत सम्मान है
दया, दान , सेवा के बदले लालच बढ़ा विशेष है।
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव ‘विदग्ध‘
उन्हें भगवान मिलते है।
उन्हें भगवान मिलते है।
सरोवर के विमल जल में कमल के फूल खिलते है।
जो मन को शुद्ध कर लेते उन्हें भगवान मिलते है।
बड़ा मैला है मन ये खोया रहता नाच गानो में,
उमंगो की तरंगो में या कोई झूठे बहानों में।
जो चिंतन में उतरते है, उन्हें भगवान मिलते है।
रिझाती रहती है मन को सदा ही नई तृष्णायें,
जकड लेती हैं लालच में फंसने को ये बाधाये।
सम्भल के जो निकल पाते उन्हें भगवान मिलते है।
जरूरी है न मन भटके जगत में वासनाओं से,
सिखाना पडता है उसको , बचना कामनाओ से।
जो सात्विकता में जीते हैं, उन्हें भगवान मिलते है।
प्रमुखता होती है मन को सजाने में विचारो की,
विमलता देती है जीवन ,को शुचिता संस्कारो की,
जो होते हैं सरल निश्छल उन्हें भगवान मिलते है।
जरूरी है सफलता के लिये नित साधना भारी,
सरलता और सात्विकता मे होती जिसकी तैयारी।
जो करते है तपस्यायें , उन्हें भगवान मिलते है।
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव विदग्ध‘
सरोवर के विमल जल में कमल के फूल खिलते है।
जो मन को शुद्ध कर लेते उन्हें भगवान मिलते है।
बड़ा मैला है मन ये खोया रहता नाच गानो में,
उमंगो की तरंगो में या कोई झूठे बहानों में।
जो चिंतन में उतरते है, उन्हें भगवान मिलते है।
रिझाती रहती है मन को सदा ही नई तृष्णायें,
जकड लेती हैं लालच में फंसने को ये बाधाये।
सम्भल के जो निकल पाते उन्हें भगवान मिलते है।
जरूरी है न मन भटके जगत में वासनाओं से,
सिखाना पडता है उसको , बचना कामनाओ से।
जो सात्विकता में जीते हैं, उन्हें भगवान मिलते है।
प्रमुखता होती है मन को सजाने में विचारो की,
विमलता देती है जीवन ,को शुचिता संस्कारो की,
जो होते हैं सरल निश्छल उन्हें भगवान मिलते है।
जरूरी है सफलता के लिये नित साधना भारी,
सरलता और सात्विकता मे होती जिसकी तैयारी।
जो करते है तपस्यायें , उन्हें भगवान मिलते है।
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव विदग्ध‘
मंगलवार, 19 अक्टूबर 2010
मन की सुनो प्रार्थना
मन की सुनो प्रार्थना
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव ‘विदग्ध‘
ओ.बी. 11 एम.पी.ई.बी. कालोनी, रामपुर, जबलपुर म.प्र
मो ९४२५४८४४५२
इस मन की सुनो प्रार्थना भगवान हमारे
आये हैं लिये आश बड़ी द्वार तुम्हारे
सागर में है तूफान है मझधार में नैया
कोई न सिवा नाथ , तुम्हारे है खिवैया
जो देख रहे उनकी बड़ी भीड़ लगी है
पर हमसे ही मजबूर , खड़े वे भी किनारे
इस मन की सुनो प्रार्थना भगवान हमारे
भँवरों में फंसी डोल, डगमगा रही नैया
जग नाच रहा , तुम्हीं हो इस जग के नचैया
दुनियां में कही कोई भी दिखता नहीं अपना
हम भाग्य के मारों के तुम्हीं नाथ सहारे
इस मन की सुनो प्रार्थना भगवान हमारे
हर दीन दुखी की प्रभु ! तुम लाज बचैया
रक्षक सकल संसार के तुम कृष्ण कन्हैया
सुख के सभी साथी हैं , पै दुख में नहीं कोई
संकट की घड़ी में गये तुमसे उबारे
इस मन की सुनो प्रार्थना भगवान हमारे
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव ‘विदग्ध‘
ओ.बी. 11 एम.पी.ई.बी. कालोनी, रामपुर, जबलपुर म.प्र
मो ९४२५४८४४५२
इस मन की सुनो प्रार्थना भगवान हमारे
आये हैं लिये आश बड़ी द्वार तुम्हारे
सागर में है तूफान है मझधार में नैया
कोई न सिवा नाथ , तुम्हारे है खिवैया
जो देख रहे उनकी बड़ी भीड़ लगी है
पर हमसे ही मजबूर , खड़े वे भी किनारे
इस मन की सुनो प्रार्थना भगवान हमारे
भँवरों में फंसी डोल, डगमगा रही नैया
जग नाच रहा , तुम्हीं हो इस जग के नचैया
दुनियां में कही कोई भी दिखता नहीं अपना
हम भाग्य के मारों के तुम्हीं नाथ सहारे
इस मन की सुनो प्रार्थना भगवान हमारे
हर दीन दुखी की प्रभु ! तुम लाज बचैया
रक्षक सकल संसार के तुम कृष्ण कन्हैया
सुख के सभी साथी हैं , पै दुख में नहीं कोई
संकट की घड़ी में गये तुमसे उबारे
इस मन की सुनो प्रार्थना भगवान हमारे
सोमवार, 18 अक्टूबर 2010
स्वप्न से तुम यहाँ चले आना
शारदी चाँदनी सा विमल मन ,जब पपीहा सा तुमको पुकारे
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव ‘विदग्ध‘
ओ.बी. 11 एम.पी.ई.बी. कालोनी, रामपुर, जबलपुर म.प्र
मो ९४२५४८४४५२
शारदी चाँदनी सा विमल मन ,जब पपीहा सा तुमको पुकारे
सावनी घन घटा से उमगते , स्वप्न से तुम यहाँ चले आना
प्राण के स्वर स्वतः झनझना के , याद की वीथिका खोल देंगे
मन बसे भावना से रंगे चित्र , आप सब कुछ स्वयं बोल देंगे
याद करते हुये बावरे से , प्रेम रंग में रंगे सांवरे से
भ्रमर से मधुर धुन गुनगुनाते , स्वप्न से तुम यहाँ चले आना
है कसम तुम्हें अपने सजन की , राह में प्रिय भटक तुम न जाना
दिन कटे काम की व्यस्तता में , रात गिनते गगन के सितारे ,
सांस के पालने में झुलाये , आश डोरी पै सपने तुम्हारे
मलय ले मधुर शीतल पवन से , बिन रुके कहीं , बढ़ते जतन से
नेह की गंध अपनी लुटाते , स्वप्न से तुम यहाँ चले आना
है कसम तुम्हें अपने वचन की , राह में प्रिय भटक तुम न जाना
रात सूने क्षणो में हमेशा , नींद हर , जाल यों डाल जाती
नैन मूंदे हृदय की विकलता , उलझ जिसमें विवश छटपटाती
अनापेक्षित मधुर से संदेशे , मिटाने सभी कल्पित अंदेशे
गीत की लय धुन पर थिरकते , स्वप्न से तुम यहाँ चले आना
है कसम तुम्हें अपनी लगन की , राह में प्रिय भटक तुम न जाना ा
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव ‘विदग्ध‘
ओ.बी. 11 एम.पी.ई.बी. कालोनी, रामपुर, जबलपुर म.प्र
मो ९४२५४८४४५२
शारदी चाँदनी सा विमल मन ,जब पपीहा सा तुमको पुकारे
सावनी घन घटा से उमगते , स्वप्न से तुम यहाँ चले आना
प्राण के स्वर स्वतः झनझना के , याद की वीथिका खोल देंगे
मन बसे भावना से रंगे चित्र , आप सब कुछ स्वयं बोल देंगे
याद करते हुये बावरे से , प्रेम रंग में रंगे सांवरे से
भ्रमर से मधुर धुन गुनगुनाते , स्वप्न से तुम यहाँ चले आना
है कसम तुम्हें अपने सजन की , राह में प्रिय भटक तुम न जाना
दिन कटे काम की व्यस्तता में , रात गिनते गगन के सितारे ,
सांस के पालने में झुलाये , आश डोरी पै सपने तुम्हारे
मलय ले मधुर शीतल पवन से , बिन रुके कहीं , बढ़ते जतन से
नेह की गंध अपनी लुटाते , स्वप्न से तुम यहाँ चले आना
है कसम तुम्हें अपने वचन की , राह में प्रिय भटक तुम न जाना
रात सूने क्षणो में हमेशा , नींद हर , जाल यों डाल जाती
नैन मूंदे हृदय की विकलता , उलझ जिसमें विवश छटपटाती
अनापेक्षित मधुर से संदेशे , मिटाने सभी कल्पित अंदेशे
गीत की लय धुन पर थिरकते , स्वप्न से तुम यहाँ चले आना
है कसम तुम्हें अपनी लगन की , राह में प्रिय भटक तुम न जाना ा
सोमवार, 11 अक्टूबर 2010
सार्थक शब्दमय देवी गीत
देवी गीत ...
नव रात्री पर्व सारे देश में नौ दस दिनों तक देवी पूजन , भक्तिभाव पूर्ण गायन , उपवास , बड़े बड़े पंडालों की स्थापना , और गरबा के आयोजन कर मनाया जाता है . देवी गीतों का प्रचार सब तरफ बढ़ गया है . पावन पर्व में गीत संगीत से पवित्र भअवना का प्रादुर्भाव और प्रसार बड़ा सुखद व मन भावन होता है . इसी दृष्टि से हर वर्ष नवरात्रि से पहले नये नये देवीगीत , जस , नौराता , के कैसेट्स बाजार में आ जाते हैं . दूर दूर गाँव ,शहरों में उत्सव समितियां ये कैसेट्स अनवरत बजाकर एक भाव भक्ति का वातावरण बना देती हैं . अब तो नवरात्रि के अनुकूल एस एम एस , रिंगटोन , वालपेपर आदि की भी मार्केटिंग हो रही है . बाजार की इस बेहिसाब माँग के चलते अनेक सस्तुआ शब्दों हल्के मनोरंजन वाले विकृत मानसिकता के देवी गीत भी विगत में सुनने को मिले . इनसे मन कोपीड़ा होती है , यह सांस्कृतिक पराभव ठीक नहीं है .
सुरुचिपूर्ण भक्ति , व देवी उपासना के लिये गीत संगीत ऐसा होना चाहिये जो श्रद्धा , विश्वास, सद्भाव , समर्पण तथा भक्ति को बढ़ावा दे .
इसी उद्देश्य से मैंने कुछ भावपूर्ण , सुन्दर , व सार्थक शब्दमय देवी गीतों की रचना की है . जो भी गायक , सी.डी. निर्माता , भक्त , धार्मिक संस्थायें चाहे वे इन सोद्देश्य गीतों को मुझसे निशुल्क जनहित में प्राप्त कर उन्हें प्रचारित करने हेतु कैसेट , सीडी बनवा सकते हैं . चाहें तो संपर्क करें .
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
ओ बी ११ ,विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२
Email vivek1959@yahoo.co.in
१ देवी गीत .... चलो माँ के दर्शन करें
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
,विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२
Email vivek1959@yahoo.co.in
आया नवरात्रि का त्यौहार , चलो माँ के दर्शन करें
अंबे मां का लगा है दरबार , चलो माँ के दर्शन करें
माता के दरसन है पावन सुहावन
नैनों से झरता है करुणा का सावन
भक्तों की माँ ही आधार , चलो माँ के दर्शन करें
माता के मंदिर की शोभा निराली
उड़ती ध्वजा लाल मन हरने वाली
खुला सबके लिये मां का द्वार , चलो माँ के दर्शन करें
मंदिर में जलती सुहानी वो जोती
जो मन के सब मैल किरणो से धोती
माता सुनती हैं सबकी पुकार चलो माँ के दर्शन करें
२ देवी गीत .... हम द्वार तुम्हारे आये हैं
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
C / 6 ,विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२
Email vivek1959@yahoo.co.in
माँ दरशन की अभिलाषा ले हम द्वार तुम्हारे आये हैं
एक झलक ज्योती की पाने सपने ये नैन सजाये हैं
पूजा की रीति विधानों का माता है हमको ज्ञान नही
पाने को तुम्हारी कृपादृष्टि के सिवा दूसरा ध्यान नहीं
फल चंदन माला धूप दीप से पूजन थाल सजाये हैं
दरबार तुम्हारे आये हैं , मां द्वार तुम्हारे आये हैं
जीवन जंजालों में उलझा , मन द्विविधा में अकुलाता है
भटका है भूल भुलैया में निर्णय नसही कर पाता है
मां आँचल की छाया दो हमको , हम माया में भरमाये हैं
दरबार तुम्हारे आये हैं , हम द्वार तुम्हारे आये हैं
जिनका न सहारा कोई माँ , उनका तुम एक सहारा हो
दुखिया मन का दुख दूर करो , सुखमय संसार हमारा हो
आशीष दो मां उन भक्तों को जो , तुम से आश लगाये हैं
दरबार तुम्हारे आये हैं ,सब द्वार तुम्हारे आये हैं
३ देवी गीत .... मात जगदंबे
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
C / 6 ,विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२
Email vivek1959@yahoo.co.in
हे जग की पालनहार मात जगदंबे
हम आये तुम्हारे द्वार मात जगदंबे
तुम आदि शक्ति इस जग की मंगलकारी
तीनों लोकों में महिमा बड़ी तुम्हारी , इस मन की सुनो पुकार मात जगदंबे
देवों का दल दनुजों से था जब हारा
असुरों को माँ तुमने रण में संहारा , तव करुणा अपरम्पार मात जगदंबे
चलता सारा संसार तुम्हारी दम से
माँ क्षमा करो सब भूल हुई जो हम से , तुम जीवन की आधार मात जगदंबे
हर जन को जग में भटकाती है माया
बच पाया वह जो शरण तुम्हारी है पाया , माया मय है संसार मात जगदंबे
माँ डूब रही नित भवसागर में नैया
है दूर किनारा कोई नहीं खिवैया , संकट से करो उबार मात जगदंबे
सद् बुद्धि शांति सुख दो मां जन जीवन को
हे जग जननी सद्भाव स्नेह दो मन को , बस इतनी ही मनुहार मात जगदंबे
४ देवी गीत ...दर्शन के लिये , पूजन के लिये, जगदम्बा के दरबार चलो
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
C / 6 ,विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२
Email vivek1959@yahoo.co.in
दर्शन के लिये , पूजन के लिये, जगदम्बा के दरबार चलो
मन में श्रद्धा विश्वास लिये , मां का करते जयकार चलो !! जय जगदम्बे , जयजगदम्बे !!
है डगर कठिन देवालय की , माँ पथ मेरा आसान करो
मैं द्वार दिवाले तक पहुँचू ,इतना मुझ पर एहसान करो !! जय जगदम्बे , जयजगदम्बे !!
उँचे पर्वत पर है मंदिर , अनुपम है छटा छबि न्यारी है
नयनो से बरसती है करुणा , कहता हर एक पुजारि है !! जय जगदम्बे , जयजगदम्बे !!
मां ज्योति तुम्हारे कलशों की , जीवन में जगाती उजियाला
हरयारी हरे जवारों की , करती शीतल दुख की ज्वाला !! जय जगदम्बे , जयजगदम्बे !!
जगजननि माँ शेरावाली ! महिमा अनमोल तुम्हारी है
जिस पर करती तुम कृपा वही , जग में सुख का अधिकारी है !! जय जगदम्बे , जयजगदम्बे !!
तुम सबको देती हो खुशियाँ , सब भक्त यही बतलाते हैं
जो निर्मल मन से जाते हैं वे झोली भर वापस आते है !! जय जगदम्बे , जयजगदम्बे !!
५ रहते भी नर्मदा किनारे प्यासे फिरते मारे मारे .......... देवी गीत
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
C / 6 ,विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२
Email vivek1959@yahoo.co.in
रहते भी नर्मदा किनारे प्यासे फिरते मारे मारे
भटकते दूर से थके हारे , आये दर्शन को माता तुम्हारे
भक्ति की भावना में नहाये , मन में आशा की ज्योति जगाये
सपनों की एक दुनियां सजाये , आये मां ! हम हैं मंदिर के द्वारे
चुन के विश्वास के फूल , लाके हल्दी , अक्षत औ चंदन बना के
थाली पूजा की पावन सजाके , पूजने को चरण मां तुम्हारे
सब तरफ जगमगा रही ज्योति , बड़ी अद्भुत है वैभव विभूति
पाता सब कुछ कृपा जिस पे होती , चाहिये हमें भी माँ सहारे
जग में जाहिर है करुणा तुम्हारी , भीड़ भक्तों की द्वारे है भारी
पूजा स्वीकार हो मां हमारी , हम भी आये हैं माँ बन भिखारी
माँ मुरादें हो अपनी पूरी , हम आये हैं झोली पसारे
हरी ही हरी होये किस्मत , दिवाले जैसे जवारे
६ ...... देवी गीत ...महिमा मां बड़ी तुम्हारी है
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
C / 6 ,विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२
Email vivek1959@yahoo.co.in
नवरात्रि पर्व में पूजा की महिमा मां बड़ी तुम्हारी है
हर गाँव शहर , घर घर जन जन में पूजा की तैयारी है
सबके मन भाव सुमन विकसे , मौसम उमंग से पुलकित है
हर मंदिर मढ़िया देवालय में , भीड़ भक्त की भारी है
सात्विक मन की पूजा सबकी होती अक्सर है फलदायी
संसार तुम्हारी करुणा का , मां युग युग से आभारी है
श्रद्धा के सुमन भरा करते , जीवन में मधुर सुगंध सदा
आशीष चाहता इससे मां , तेरा हर चरण पुजारी है
अनुराग और विश्वास जिन्हें है अडिग तुम्हारे चरणों में
उन पर करुणा की वर्षा करने की माता अब बारी है
कई रूपों , नामों धामों में , है व्याप्त तुम्हारी चेतनता
अति भव्य शक्ति , गुण की ,महिमा तव जग में हे माँ न्यारी है
७ ...... देवी गीत ...मोरि नैया लगा दो पार मैया
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
C / 6 ,विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२
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मोरि नैया लगा दो पार मैया जीवन की
है विनती बारंबार मैया दुखिया मन की
तुम हो आदिशक्ति हे माता
सबका तुमसे सच्चा नाता
सब पर कृपा तुम्हारी जग में
महिमा अपरम्पार तुम्हारे आंगन की
हम आये तुम्हारे द्वार , कामना ले मन की
कोई न किसी का संग सँगाती
जलती जाती जीवन बाती
घट घट की माँ तुम्हें खबर सब
अभिलाषा एक बार तुम्हारे दर्शन की
दे दो माँ आधार , शरण दे चरणन की
झूठे जग के रिश्ते नाते
कोई किसी के काम न आते
करुणामयी माँ तुम जग तारिणी
झूठा है संसार चलन जहाँ अनबन की
माँ नैया है मझधार भँवर में जीवन की
कौन करे उस पार नैया जीवन की
मोरि नैया लगा दो पार मैया जीवन की
है विनती बारंबार मैया दुखिया मन की
८ ...... देवी गीत ...तुम्हारे दर्शन को
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
C / 6 ,विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२
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पावन नवरात्री की बेला , उमड़ी है माँ भीड़, तुम्हारे दर्शन को
मां सबकी तुम एक सहारा , पाने को आशीष तुम्हारा
आये चल के बड़ी दूर से , तुम्हें चढ़ाने नीर, तुम्हारे दर्शन को
तुम्हें ज्ञात हर मन की भाषा , आये हम भी ले अभिलाषा
छू के चरण शाँति पाने माँ , मन है बहुत अधीर , तुम्हारे दर्शन को
भाव सुमन रंगीन सजाये , पूजा की थाली ले आये
माला , श्रीफल , और भौग में , फल मेवा औ खीर , तुम्हारे दर्शन को
मन की कहने , मन की पाने , आशा की नई ज्योति जगाने
तपते जीवन पथ पर चलते , मन में है एक पीर , तुम्हारे दर्शन को
मां भू मंडल की तुम स्वामी , घट घट की हो अंतर्यामी
देकर आशीर्वाद , कृपाकर , लिख दो नई तकदीर , तुम्हारे दर्शन को
९ विश्व हो माँ ! कल्याणकारी
प्रो सी बी श्रीवास्तव "विदग्ध "
ओ बी ११ ,विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
vivek1959@yahoo.co.in
फोन ०७६१२६६२०५२
जो भी अपनी सुनाने व्यथायें
दूर से चलके मंदिर में आयें
दीजिये माता आशीष उनको
मन में जो गहरी आशा लगायें
दीन भक्तो को बस आसरा है , कृपा की जगत जननी तुम्हारी
गाँव शहरों में गलियों सड़क में
उमड़ी है हर जगह भीड़ भारी
करके दर्शन व्यथायें सुनाने
आरती पूजा करने तुम्हारी
मन के भावों को पावन बनाता , पर्व नवरात्र का पुण्यकारी
भजन की स्वर लहरियो से गुंजित
हो रहा प्यारा निर्मल गगन है
होम के धूम की गंध से भर
हर पुजारी का मन मगन है
माँ ! दो वर जिससे हो हित सबों का , मान के प्रार्थनायें हमारी
जिनके मन में बसा है अंधेरा
माँ ! वहाँ ज्ञान का हो उजाला
जो भी हैं द्वेष , दुर्भाव , कलुषित
उनका मन होवे सद्भाव वाला
किसी का न कोई अहित हो , नष्ट हों दुष्ट , सब दुराचारी
१० कुल देवी से प्रार्थना
प्रो सी बी श्रीवास्तव "विदग्ध "
OB 11 , MPEB , Rampur , Jabalpur
vivek1959@yahoo.co.in
कुल की गरिमा की उज्जवल माँ तुम शाश्वत पावन ज्योति
कुल की रक्षा , संवर्धन गति , उन्नति सन्मति तुमसे होती
तुम अविचल विमल असीम कृपा की शीतल छाया दात्री हो
यश सुख , गौरव देने वाली , इस कुल की भाग्य विधात्री हो
आशीष दीजिये माँ घर में , सबमें आपस में प्यार रहे
विनती है इस निर्बल मन की धन कीर्ति भरा परिवार रहे
पा ज्ञान ध्यान सन्मान , स्वास्थ्य , ढ़ृड़व्रती ,सभी विद्वान बने
यश का प्रकाश फैला सकने , इस कुल में सब गुणवान बनें
माँ क्षमा कीजिये बिसरा सब जानी अनजानी भूलों को
निर्मूल कीजिये सब पथ में आते संकट और शूलो को
वर दो बिल्कुल विचलित न करें ,दैनिक जीवन संग्राम हमें
हम सबका चरणो में माता , है बारम्बार प्रणाम तुम्हें
११ माँ दुर्गा की स्तुति
प्रो सी बी श्रीवास्तव "विदग्ध "
vivek1959@yahoo.co.in
हे सिंहवाहिनी , शक्तिशालिनी , कष्टहारिणी माँ दुर्गे
महिषासुर मर्दिनि,भव भय भंजनि , शक्तिदायिनी माँ दुर्गे
तुम निर्बल की रक्षक , भक्तो का बल विश्वास बढ़ाती हो
दुष्टो पर बल से विजय प्राप्त करने का पाठ पढ़ाती हो
हे जगजननी , रणचण्डी , रण में शत्रुनाशिनी माँ दुर्गे
जग के कण कण में महाशक्ति कीव्याप्त अमर तुम चिनगारी
ढ़१ड़ निस्चय की निर्भय प्रतिमा , जिससे डरते अत्याचारी
हे शक्ति स्वरूपा , विश्ववन्द्य , कालिका , मानिनि माँ दुर्गे
तुम परब्रम्ह की परम ज्योति , दुष्टो से जग की त्राता हो
पर भावुक भक्तो की कल्याणी परंवत्सला माता हो
निशिचर विदारिणी , जग विहारिणि , स्नेहदायिनी माँ दुर्गे .
१२ देवी गीत
प्रो सी बी श्रीवास्तव "विदग्ध "
ओ बी ११ ,विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
vivek1959@yahoo.co.in
फोन
०७६१२६६२०५२
आशीष उसे दो माँ अपना , दरबार तुम्हारे आया जो
कल्याण करो उस दुखिया का जो जग में गया सताया हो
मन्दिर में आते दीन दुखी , मन में भारी विश्वास लिये
अभिलाषा पूरी होने की , दर्शन से तुम्हारे , आश लिये
आकर के तुम्हारे द्वारे तक , मन को मिलती है शांति बड़ी
हे करुणामयी ! असहायों को , माँ अपनी आँचल छाया दो
आनन्द भरा होता जैसे , वर्षा की मन्द फुहारो में
औ" होता है संगीत मधुर , जैसे वीणा के तारो में
आल्हाद वही देती सबको , कलशो की जगमग ज्योति यहाँ
भरती उसकी भी झोली है , माँ शरण तुम्हारी आया जो
दिपती जो पावन ज्योति मधुर , देती है खुशी सब आँखों को
उत्साह बढ़ाती हर जन का , दे शक्ति पराजित पांखों को
जिनका न सहारा कोई कहीं , उनका बस तुम्ही सहारा हो
हो कृपा जगत जननी ऐसी , सब भक्तो का मनभाया हो
उपवास ,जाप ,पूजन अर्चन ,सब मन के ताप मिटाते हैं
इससे ही आरति , भण्डारों मे , लोग दूर दूर से आते हैं
अनुराग भरी तव कृपा दृष्टि से , पावन हो संसार सकल ,
सुख शांति से सबका हित हो माँ! हर घर में हर्ष समाया हो .
१३ लक्ष्मी स्तवन
प्रो सी बी श्रीवास्तव "विदग्ध "
vivek1959@yahoo.co.in
कल्याण दायिनी , धनप्रदे , माँ लक्ष्मी कमलासने
संसार को सुखप्रद बनाया , है तुम्हारे वास ने
चलती नहीं माँ जिंदगी , संसार में धन के बिना
जैसे कि आत्मा अमर होते हुये भी , तन कर बिना
निर्धन को भी निर्भय किया ,माँ तुम्ही के प्रकाश ने
हर एक मन में है तुम्हारी ,कृपा की मधु कामना
आशा लिये कर सक रहा , कठिनाईयों का सामना
जग को दिया आलोक हरदम , तुम्हारे विश्वास ने
संगीत सा आनन्द है , धन की मधुर खनकार में
संसार का व्यवहार सब , केंन्द्रित धन के प्यार में
सबके खुले हैं द्वार स्वागत में , तुम्हें सन्मानने
मन सदा करता रहा , मन से तुम्हारी साधना
सजी है पूजा की थाली , करने तेरी आराधना
माँ जगह हमको भी दो ,अपने चरण के पास में
१४ सरस्वती वन्दना
प्रो सी बी श्रीवास्तव "विदग्ध "
vivek1959@yahoo.co.in
शुभवस्त्रे हंस वाहिनी वीण वादिनी शारदे ,
डूबते संसार को अवलंब दे आधार दे !
हो रही घर घर निरंतर आज धन की साधना ,
स्वार्थ के चंदन अगरु से अर्चना आराधना
आत्म वंचित मन सशंकित विश्व बहुत उदास है,
चेतना जग की जगा मां वीण की झंकार दे !
सुविकसित विज्ञान ने तो की सुखों की सर्जना
बंद हो पाई न अब भी पर बमों की गर्जना
रक्त रंजित धरा पर फैला धुआं और औ" ध्वंस है
बचा मृग मारिचिका से , मनुज को माँ प्यार दे
ज्ञान तो बिखरा बहुत पर , समझ ओछी हो गई
बुद्धि के जंजाल में दब प्रीति मन की खो गई
उठा है तूफान भारी , तर्क पारावार में
भाव की माँ हंसग्रीवी , नाव को पतवार दे
चाहता हर आदमी अब पहुंचना उस गाँव में
जी सके जीवन जहाँ , ठंडी हवा की छांव में
थक गया चल विश्व , झुलसाती तपन की धूप में
हृदय को माँ ! पूर्णिमा सा मधु भरा संसार दे .
नव रात्री पर्व सारे देश में नौ दस दिनों तक देवी पूजन , भक्तिभाव पूर्ण गायन , उपवास , बड़े बड़े पंडालों की स्थापना , और गरबा के आयोजन कर मनाया जाता है . देवी गीतों का प्रचार सब तरफ बढ़ गया है . पावन पर्व में गीत संगीत से पवित्र भअवना का प्रादुर्भाव और प्रसार बड़ा सुखद व मन भावन होता है . इसी दृष्टि से हर वर्ष नवरात्रि से पहले नये नये देवीगीत , जस , नौराता , के कैसेट्स बाजार में आ जाते हैं . दूर दूर गाँव ,शहरों में उत्सव समितियां ये कैसेट्स अनवरत बजाकर एक भाव भक्ति का वातावरण बना देती हैं . अब तो नवरात्रि के अनुकूल एस एम एस , रिंगटोन , वालपेपर आदि की भी मार्केटिंग हो रही है . बाजार की इस बेहिसाब माँग के चलते अनेक सस्तुआ शब्दों हल्के मनोरंजन वाले विकृत मानसिकता के देवी गीत भी विगत में सुनने को मिले . इनसे मन कोपीड़ा होती है , यह सांस्कृतिक पराभव ठीक नहीं है .
सुरुचिपूर्ण भक्ति , व देवी उपासना के लिये गीत संगीत ऐसा होना चाहिये जो श्रद्धा , विश्वास, सद्भाव , समर्पण तथा भक्ति को बढ़ावा दे .
इसी उद्देश्य से मैंने कुछ भावपूर्ण , सुन्दर , व सार्थक शब्दमय देवी गीतों की रचना की है . जो भी गायक , सी.डी. निर्माता , भक्त , धार्मिक संस्थायें चाहे वे इन सोद्देश्य गीतों को मुझसे निशुल्क जनहित में प्राप्त कर उन्हें प्रचारित करने हेतु कैसेट , सीडी बनवा सकते हैं . चाहें तो संपर्क करें .
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
ओ बी ११ ,विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२
Email vivek1959@yahoo.co.in
१ देवी गीत .... चलो माँ के दर्शन करें
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
,विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२
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आया नवरात्रि का त्यौहार , चलो माँ के दर्शन करें
अंबे मां का लगा है दरबार , चलो माँ के दर्शन करें
माता के दरसन है पावन सुहावन
नैनों से झरता है करुणा का सावन
भक्तों की माँ ही आधार , चलो माँ के दर्शन करें
माता के मंदिर की शोभा निराली
उड़ती ध्वजा लाल मन हरने वाली
खुला सबके लिये मां का द्वार , चलो माँ के दर्शन करें
मंदिर में जलती सुहानी वो जोती
जो मन के सब मैल किरणो से धोती
माता सुनती हैं सबकी पुकार चलो माँ के दर्शन करें
२ देवी गीत .... हम द्वार तुम्हारे आये हैं
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
C / 6 ,विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२
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माँ दरशन की अभिलाषा ले हम द्वार तुम्हारे आये हैं
एक झलक ज्योती की पाने सपने ये नैन सजाये हैं
पूजा की रीति विधानों का माता है हमको ज्ञान नही
पाने को तुम्हारी कृपादृष्टि के सिवा दूसरा ध्यान नहीं
फल चंदन माला धूप दीप से पूजन थाल सजाये हैं
दरबार तुम्हारे आये हैं , मां द्वार तुम्हारे आये हैं
जीवन जंजालों में उलझा , मन द्विविधा में अकुलाता है
भटका है भूल भुलैया में निर्णय नसही कर पाता है
मां आँचल की छाया दो हमको , हम माया में भरमाये हैं
दरबार तुम्हारे आये हैं , हम द्वार तुम्हारे आये हैं
जिनका न सहारा कोई माँ , उनका तुम एक सहारा हो
दुखिया मन का दुख दूर करो , सुखमय संसार हमारा हो
आशीष दो मां उन भक्तों को जो , तुम से आश लगाये हैं
दरबार तुम्हारे आये हैं ,सब द्वार तुम्हारे आये हैं
३ देवी गीत .... मात जगदंबे
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
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मो. ०९४२५४८४४५२
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हे जग की पालनहार मात जगदंबे
हम आये तुम्हारे द्वार मात जगदंबे
तुम आदि शक्ति इस जग की मंगलकारी
तीनों लोकों में महिमा बड़ी तुम्हारी , इस मन की सुनो पुकार मात जगदंबे
देवों का दल दनुजों से था जब हारा
असुरों को माँ तुमने रण में संहारा , तव करुणा अपरम्पार मात जगदंबे
चलता सारा संसार तुम्हारी दम से
माँ क्षमा करो सब भूल हुई जो हम से , तुम जीवन की आधार मात जगदंबे
हर जन को जग में भटकाती है माया
बच पाया वह जो शरण तुम्हारी है पाया , माया मय है संसार मात जगदंबे
माँ डूब रही नित भवसागर में नैया
है दूर किनारा कोई नहीं खिवैया , संकट से करो उबार मात जगदंबे
सद् बुद्धि शांति सुख दो मां जन जीवन को
हे जग जननी सद्भाव स्नेह दो मन को , बस इतनी ही मनुहार मात जगदंबे
४ देवी गीत ...दर्शन के लिये , पूजन के लिये, जगदम्बा के दरबार चलो
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
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दर्शन के लिये , पूजन के लिये, जगदम्बा के दरबार चलो
मन में श्रद्धा विश्वास लिये , मां का करते जयकार चलो !! जय जगदम्बे , जयजगदम्बे !!
है डगर कठिन देवालय की , माँ पथ मेरा आसान करो
मैं द्वार दिवाले तक पहुँचू ,इतना मुझ पर एहसान करो !! जय जगदम्बे , जयजगदम्बे !!
उँचे पर्वत पर है मंदिर , अनुपम है छटा छबि न्यारी है
नयनो से बरसती है करुणा , कहता हर एक पुजारि है !! जय जगदम्बे , जयजगदम्बे !!
मां ज्योति तुम्हारे कलशों की , जीवन में जगाती उजियाला
हरयारी हरे जवारों की , करती शीतल दुख की ज्वाला !! जय जगदम्बे , जयजगदम्बे !!
जगजननि माँ शेरावाली ! महिमा अनमोल तुम्हारी है
जिस पर करती तुम कृपा वही , जग में सुख का अधिकारी है !! जय जगदम्बे , जयजगदम्बे !!
तुम सबको देती हो खुशियाँ , सब भक्त यही बतलाते हैं
जो निर्मल मन से जाते हैं वे झोली भर वापस आते है !! जय जगदम्बे , जयजगदम्बे !!
५ रहते भी नर्मदा किनारे प्यासे फिरते मारे मारे .......... देवी गीत
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
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रहते भी नर्मदा किनारे प्यासे फिरते मारे मारे
भटकते दूर से थके हारे , आये दर्शन को माता तुम्हारे
भक्ति की भावना में नहाये , मन में आशा की ज्योति जगाये
सपनों की एक दुनियां सजाये , आये मां ! हम हैं मंदिर के द्वारे
चुन के विश्वास के फूल , लाके हल्दी , अक्षत औ चंदन बना के
थाली पूजा की पावन सजाके , पूजने को चरण मां तुम्हारे
सब तरफ जगमगा रही ज्योति , बड़ी अद्भुत है वैभव विभूति
पाता सब कुछ कृपा जिस पे होती , चाहिये हमें भी माँ सहारे
जग में जाहिर है करुणा तुम्हारी , भीड़ भक्तों की द्वारे है भारी
पूजा स्वीकार हो मां हमारी , हम भी आये हैं माँ बन भिखारी
माँ मुरादें हो अपनी पूरी , हम आये हैं झोली पसारे
हरी ही हरी होये किस्मत , दिवाले जैसे जवारे
६ ...... देवी गीत ...महिमा मां बड़ी तुम्हारी है
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
C / 6 ,विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
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नवरात्रि पर्व में पूजा की महिमा मां बड़ी तुम्हारी है
हर गाँव शहर , घर घर जन जन में पूजा की तैयारी है
सबके मन भाव सुमन विकसे , मौसम उमंग से पुलकित है
हर मंदिर मढ़िया देवालय में , भीड़ भक्त की भारी है
सात्विक मन की पूजा सबकी होती अक्सर है फलदायी
संसार तुम्हारी करुणा का , मां युग युग से आभारी है
श्रद्धा के सुमन भरा करते , जीवन में मधुर सुगंध सदा
आशीष चाहता इससे मां , तेरा हर चरण पुजारी है
अनुराग और विश्वास जिन्हें है अडिग तुम्हारे चरणों में
उन पर करुणा की वर्षा करने की माता अब बारी है
कई रूपों , नामों धामों में , है व्याप्त तुम्हारी चेतनता
अति भव्य शक्ति , गुण की ,महिमा तव जग में हे माँ न्यारी है
७ ...... देवी गीत ...मोरि नैया लगा दो पार मैया
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
C / 6 ,विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२
Email vivek1959@yahoo.co.in
मोरि नैया लगा दो पार मैया जीवन की
है विनती बारंबार मैया दुखिया मन की
तुम हो आदिशक्ति हे माता
सबका तुमसे सच्चा नाता
सब पर कृपा तुम्हारी जग में
महिमा अपरम्पार तुम्हारे आंगन की
हम आये तुम्हारे द्वार , कामना ले मन की
कोई न किसी का संग सँगाती
जलती जाती जीवन बाती
घट घट की माँ तुम्हें खबर सब
अभिलाषा एक बार तुम्हारे दर्शन की
दे दो माँ आधार , शरण दे चरणन की
झूठे जग के रिश्ते नाते
कोई किसी के काम न आते
करुणामयी माँ तुम जग तारिणी
झूठा है संसार चलन जहाँ अनबन की
माँ नैया है मझधार भँवर में जीवन की
कौन करे उस पार नैया जीवन की
मोरि नैया लगा दो पार मैया जीवन की
है विनती बारंबार मैया दुखिया मन की
८ ...... देवी गीत ...तुम्हारे दर्शन को
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
C / 6 ,विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२
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पावन नवरात्री की बेला , उमड़ी है माँ भीड़, तुम्हारे दर्शन को
मां सबकी तुम एक सहारा , पाने को आशीष तुम्हारा
आये चल के बड़ी दूर से , तुम्हें चढ़ाने नीर, तुम्हारे दर्शन को
तुम्हें ज्ञात हर मन की भाषा , आये हम भी ले अभिलाषा
छू के चरण शाँति पाने माँ , मन है बहुत अधीर , तुम्हारे दर्शन को
भाव सुमन रंगीन सजाये , पूजा की थाली ले आये
माला , श्रीफल , और भौग में , फल मेवा औ खीर , तुम्हारे दर्शन को
मन की कहने , मन की पाने , आशा की नई ज्योति जगाने
तपते जीवन पथ पर चलते , मन में है एक पीर , तुम्हारे दर्शन को
मां भू मंडल की तुम स्वामी , घट घट की हो अंतर्यामी
देकर आशीर्वाद , कृपाकर , लिख दो नई तकदीर , तुम्हारे दर्शन को
९ विश्व हो माँ ! कल्याणकारी
प्रो सी बी श्रीवास्तव "विदग्ध "
ओ बी ११ ,विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
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फोन ०७६१२६६२०५२
जो भी अपनी सुनाने व्यथायें
दूर से चलके मंदिर में आयें
दीजिये माता आशीष उनको
मन में जो गहरी आशा लगायें
दीन भक्तो को बस आसरा है , कृपा की जगत जननी तुम्हारी
गाँव शहरों में गलियों सड़क में
उमड़ी है हर जगह भीड़ भारी
करके दर्शन व्यथायें सुनाने
आरती पूजा करने तुम्हारी
मन के भावों को पावन बनाता , पर्व नवरात्र का पुण्यकारी
भजन की स्वर लहरियो से गुंजित
हो रहा प्यारा निर्मल गगन है
होम के धूम की गंध से भर
हर पुजारी का मन मगन है
माँ ! दो वर जिससे हो हित सबों का , मान के प्रार्थनायें हमारी
जिनके मन में बसा है अंधेरा
माँ ! वहाँ ज्ञान का हो उजाला
जो भी हैं द्वेष , दुर्भाव , कलुषित
उनका मन होवे सद्भाव वाला
किसी का न कोई अहित हो , नष्ट हों दुष्ट , सब दुराचारी
१० कुल देवी से प्रार्थना
प्रो सी बी श्रीवास्तव "विदग्ध "
OB 11 , MPEB , Rampur , Jabalpur
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कुल की गरिमा की उज्जवल माँ तुम शाश्वत पावन ज्योति
कुल की रक्षा , संवर्धन गति , उन्नति सन्मति तुमसे होती
तुम अविचल विमल असीम कृपा की शीतल छाया दात्री हो
यश सुख , गौरव देने वाली , इस कुल की भाग्य विधात्री हो
आशीष दीजिये माँ घर में , सबमें आपस में प्यार रहे
विनती है इस निर्बल मन की धन कीर्ति भरा परिवार रहे
पा ज्ञान ध्यान सन्मान , स्वास्थ्य , ढ़ृड़व्रती ,सभी विद्वान बने
यश का प्रकाश फैला सकने , इस कुल में सब गुणवान बनें
माँ क्षमा कीजिये बिसरा सब जानी अनजानी भूलों को
निर्मूल कीजिये सब पथ में आते संकट और शूलो को
वर दो बिल्कुल विचलित न करें ,दैनिक जीवन संग्राम हमें
हम सबका चरणो में माता , है बारम्बार प्रणाम तुम्हें
११ माँ दुर्गा की स्तुति
प्रो सी बी श्रीवास्तव "विदग्ध "
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हे सिंहवाहिनी , शक्तिशालिनी , कष्टहारिणी माँ दुर्गे
महिषासुर मर्दिनि,भव भय भंजनि , शक्तिदायिनी माँ दुर्गे
तुम निर्बल की रक्षक , भक्तो का बल विश्वास बढ़ाती हो
दुष्टो पर बल से विजय प्राप्त करने का पाठ पढ़ाती हो
हे जगजननी , रणचण्डी , रण में शत्रुनाशिनी माँ दुर्गे
जग के कण कण में महाशक्ति कीव्याप्त अमर तुम चिनगारी
ढ़१ड़ निस्चय की निर्भय प्रतिमा , जिससे डरते अत्याचारी
हे शक्ति स्वरूपा , विश्ववन्द्य , कालिका , मानिनि माँ दुर्गे
तुम परब्रम्ह की परम ज्योति , दुष्टो से जग की त्राता हो
पर भावुक भक्तो की कल्याणी परंवत्सला माता हो
निशिचर विदारिणी , जग विहारिणि , स्नेहदायिनी माँ दुर्गे .
१२ देवी गीत
प्रो सी बी श्रीवास्तव "विदग्ध "
ओ बी ११ ,विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
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०७६१२६६२०५२
आशीष उसे दो माँ अपना , दरबार तुम्हारे आया जो
कल्याण करो उस दुखिया का जो जग में गया सताया हो
मन्दिर में आते दीन दुखी , मन में भारी विश्वास लिये
अभिलाषा पूरी होने की , दर्शन से तुम्हारे , आश लिये
आकर के तुम्हारे द्वारे तक , मन को मिलती है शांति बड़ी
हे करुणामयी ! असहायों को , माँ अपनी आँचल छाया दो
आनन्द भरा होता जैसे , वर्षा की मन्द फुहारो में
औ" होता है संगीत मधुर , जैसे वीणा के तारो में
आल्हाद वही देती सबको , कलशो की जगमग ज्योति यहाँ
भरती उसकी भी झोली है , माँ शरण तुम्हारी आया जो
दिपती जो पावन ज्योति मधुर , देती है खुशी सब आँखों को
उत्साह बढ़ाती हर जन का , दे शक्ति पराजित पांखों को
जिनका न सहारा कोई कहीं , उनका बस तुम्ही सहारा हो
हो कृपा जगत जननी ऐसी , सब भक्तो का मनभाया हो
उपवास ,जाप ,पूजन अर्चन ,सब मन के ताप मिटाते हैं
इससे ही आरति , भण्डारों मे , लोग दूर दूर से आते हैं
अनुराग भरी तव कृपा दृष्टि से , पावन हो संसार सकल ,
सुख शांति से सबका हित हो माँ! हर घर में हर्ष समाया हो .
१३ लक्ष्मी स्तवन
प्रो सी बी श्रीवास्तव "विदग्ध "
vivek1959@yahoo.co.in
कल्याण दायिनी , धनप्रदे , माँ लक्ष्मी कमलासने
संसार को सुखप्रद बनाया , है तुम्हारे वास ने
चलती नहीं माँ जिंदगी , संसार में धन के बिना
जैसे कि आत्मा अमर होते हुये भी , तन कर बिना
निर्धन को भी निर्भय किया ,माँ तुम्ही के प्रकाश ने
हर एक मन में है तुम्हारी ,कृपा की मधु कामना
आशा लिये कर सक रहा , कठिनाईयों का सामना
जग को दिया आलोक हरदम , तुम्हारे विश्वास ने
संगीत सा आनन्द है , धन की मधुर खनकार में
संसार का व्यवहार सब , केंन्द्रित धन के प्यार में
सबके खुले हैं द्वार स्वागत में , तुम्हें सन्मानने
मन सदा करता रहा , मन से तुम्हारी साधना
सजी है पूजा की थाली , करने तेरी आराधना
माँ जगह हमको भी दो ,अपने चरण के पास में
१४ सरस्वती वन्दना
प्रो सी बी श्रीवास्तव "विदग्ध "
vivek1959@yahoo.co.in
शुभवस्त्रे हंस वाहिनी वीण वादिनी शारदे ,
डूबते संसार को अवलंब दे आधार दे !
हो रही घर घर निरंतर आज धन की साधना ,
स्वार्थ के चंदन अगरु से अर्चना आराधना
आत्म वंचित मन सशंकित विश्व बहुत उदास है,
चेतना जग की जगा मां वीण की झंकार दे !
सुविकसित विज्ञान ने तो की सुखों की सर्जना
बंद हो पाई न अब भी पर बमों की गर्जना
रक्त रंजित धरा पर फैला धुआं और औ" ध्वंस है
बचा मृग मारिचिका से , मनुज को माँ प्यार दे
ज्ञान तो बिखरा बहुत पर , समझ ओछी हो गई
बुद्धि के जंजाल में दब प्रीति मन की खो गई
उठा है तूफान भारी , तर्क पारावार में
भाव की माँ हंसग्रीवी , नाव को पतवार दे
चाहता हर आदमी अब पहुंचना उस गाँव में
जी सके जीवन जहाँ , ठंडी हवा की छांव में
थक गया चल विश्व , झुलसाती तपन की धूप में
हृदय को माँ ! पूर्णिमा सा मधु भरा संसार दे .
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