बेटी का संसार
बड़ा भावमय त्यागमय बिटिया का संसार
प्रेम पगा है मन मगर, नैन अश्रु की धार
बिटिया लक्ष्मी लाडली है घर का सिंगार
जिसका जीवन सजाता है दो-दो परिवार
होना चाहिये घरो में बेटी का सम्मान
बिटिया बिन संभव कहां धार्मिक विविध विधान
गुणी बेटियां बढ़ाती हैं दो घर की शान
दे देती परिवार को एक नई पहचान
अच्छा घर-वर देखकर कर बेटी का ब्याह
खश होते माता-पिता जैसे शाहंशाह
घर जिस पर था जनम से बेटी का अधिकार
हो जाता भावंर पडे सात समदंर पार
नये देश में लोग नये घर बिल्कुल अंजान
सबसे पाती नई बहू उचित मान-सम्मान
घुलमिल सबसे और कर आदर मय व्यवहार
पाती बहुएं चार दिन में घर पर अधिकार
रीति यहीं संसार की रहकर सबके साथ
भुला न पाती बेटियां पर मयके की याद
दोनों घर परिवार की मर्यादा को मान
करती सब व्यवहार रख लोक लाज का ध्यान
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव ‘विदग्ध‘
1 टिप्पणी:
बेटियां ऐसी ही होती हैं>
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