शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010

उन्हें भगवान मिलते है।

उन्हें भगवान मिलते है।

सरोवर के विमल जल में कमल के फूल खिलते है।
जो मन को शुद्ध कर लेते उन्हें भगवान मिलते है।

बड़ा मैला है मन ये खोया रहता नाच गानो में,
उमंगो की तरंगो में या कोई झूठे बहानों में।
जो चिंतन में उतरते है, उन्हें भगवान मिलते है।

रिझाती रहती है मन को सदा ही नई तृष्णायें,
जकड लेती हैं लालच में फंसने को ये बाधाये।
सम्भल के जो निकल पाते उन्हें भगवान मिलते है।

जरूरी है न मन भटके जगत में वासनाओं से,
सिखाना पडता है उसको , बचना कामनाओ से।
जो सात्विकता में जीते हैं, उन्हें भगवान मिलते है।

प्रमुखता होती है मन को सजाने में विचारो की,
विमलता देती है जीवन ,को शुचिता संस्कारो की,
जो होते हैं सरल निश्छल उन्हें भगवान मिलते है।

जरूरी है सफलता के लिये नित साधना भारी,
सरलता और सात्विकता मे होती जिसकी तैयारी।
जो करते है तपस्यायें , उन्हें भगवान मिलते है।


प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव विदग्ध‘

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